इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली और एनसीआर के ट्रान्सपोर्ट क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्यरत भिन्न-भिन्न यूनियनों के प्रतिनिधियों की संयुक्त रूप से प्रेस क्लब ऑफ इण्डिया में प्रेस वार्ता का आयोजन दिल्ली-एनसीआर ट्रान्सपोर्ट एकता मंच के बैनर तले आयोजित किया गया।
ट्रांसपोर्ट यूनियनों के प्रतिनिधियों ने केन्द्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में 30 करोड़ लोग ट्रान्सपोर्ट जगत के कारोबार से जुड़े हुए हैं। केन्द्र सरकार 10 वर्ष की डीजल गाड़ी 15 वर्ष की पेट्रोल गाड़ियों को स्क्रैपिंग करके ट्रान्सपोर्ट जगत के 30 करोड़ विशेष रूप से सिंगल मोटर मालिक की कमर तोड़कर बर्बाद करने पर तुली है।
ऑल इण्डिया मोटर ट्रान्सपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष कुलतरन अठवाल ने कहा कि माल वाहक निर्माता कम्पनियों के उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रदूषण के मन गढ़न्त कर आकड़े पेश करके, ट्रान्सपोर्ट जगत को बर्बाद और तबाह करने का यह एक सुनियोजित और प्रयोजित षड्यंत्र है। ओला-उबर की भांति ट्रान्सपोर्ट जगत के माल वाहक मालिकों को इस क्षेत्र से बाहर का रास्ता दिखाकर सरकार बड़ी कम्पनियों को इस क्षेत्र को सौपना चाह रही है।
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इस क्षेत्र के कारोबार से जुड़ी हुई यूनियनों के प्रतिनिधियों ने दर्जनों बार सरकार को प्रतिवेदन देकर सुझाव दिया है कि सरकार अगर गाड़ी के ईंजन से निकलने वाले धूंए को ही दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते हुए प्रदूषण का कारण मानती है, तो दस और पन्द्रह वर्ष पुराने मालवाहक गाड़ियों को स्क्रैप करने की बजाय उस गाड़ी का इंजन बदलने की और उसे सीएनजी में तब्दील करके पुनः अगले दस वर्षों तक प्रयोग करने की ईजाजत प्रदान करे। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट महमूद पराचा ने कहा कि प्रदूषण का कारण सिर्फ धुंआ हो सकता है, गाड़ी की बॉडी नही होती।
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वास्तविकता ये भी है कि 10 वर्ष डीजल और 15 वर्ष पेट्रोल कि वाहनो की स्क्रैपिंग की यह पॉलिशी सिर्फ ट्रान्सपोर्ट जगत के वाहनों को ही प्रभावित नही करती है बल्कि यह देश के आम नागरिक के लिए भी बहुत बड़ी समस्या है और सभी को प्रभावित करती है।
इस तर्क संगत सुझाव को भी सरकार अनदेखी करके गाड़ी निर्माता कम्पनियों को लाभ पहुंचाने का कुप्रयास करने की चेष्टा कर रही है और आड़ प्रदूषण बढ़ने का ले रही है। केन्द्र सरकार की इस भ्रष्ट नीति के विरोध में दिल्ली-एनसीआर ट्रान्सपोर्ट जगत की सभी यूनियनों ने संयुक्त रूप से निर्णय लेकर आगामी एक अप्रैल 2022 को हड़ताल करके चक्का जाम करने का एलान किया है।
ट्रांसपोर्ट यूनियनों का समर्थन कर रहे डीसी कपिल ने कहा कि यदि सरकार नई स्क्रेपिंग पॉलिसी में सुधार नहीं किया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन की तरह ही ट्रांसपोर्ट यूनियन सरकार के खिलाफ मजबूर होकर लामबंद होंगे।
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