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India News Delhi (इंडिया न्यूज़), MCD Election: आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने एमसीडी वार्ड समिति चुनाव की अधिसूचना के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और पार्षदों ने अपनी याचिका वापस ले ली। आप पार्षदों ने आरोप लगाया था कि 12 जोनल वार्ड समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा एमसीडी की स्थायी समिति के लिए प्रत्येक समिति से एक सदस्य के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। एमसीडी की जोनल स्तरीय वार्ड समिति के चुनाव 4 सितंबर को होने हैं और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 अगस्त है।
जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव ने कहा, ‘यह एमसीडी आयुक्त द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम है। कोर्ट बीच में आकर आयुक्त को किसी खास तरीके से कार्यक्रम निर्धारित करने का निर्देश नहीं दे सकता। अगर आप ईमानदार हैं और चुनाव लड़ना चाहते हैं तो आपको निगम जाना चाहिए था। मैं इसके लिए इच्छुक नहीं हूं। करीब 45 मिनट की सुनवाई के बाद जब अदालत ने संकेत दिया कि वह कोई राहत देने के लिए इच्छुक नहीं है, तो दोनों पार्षदों के वकील ने अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया।
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चौहान ने दावा किया कि वह अस्वस्थ हैं और अनिच्छुक हैं, जबकि चौधरी ने कहा कि वह फिलहाल दिल्ली से बाहर हैं और उनके पास व्यवस्था करने और कागजी कार्रवाई करने का समय नहीं है। चौहान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि वह चुनाव को लंबे समय तक टालने की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि केवल दो से तीन दिन और आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। चौहान की ओर से पेश अधिवक्ता मेहरा ने कहा, “मैं स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के पक्ष में हूं और अधिकतम भागीदारी चाहता हूं। मैं पार्षद हूं और चुनाव लड़ना चाहता हूं। नामांकन आज से शुरू हो रहे हैं और आज शाम को समाप्त हो जाएंगे। मैं अस्वस्थ हूं और मुझे दो-तीन दिन चाहिए।
इस पर जज ने कहा कि उन्हें कोर्ट आने के बजाय निगम जाकर नामांकन पत्र लेना चाहिए था और बताना चाहिए था कि वह अस्वस्थ हैं और कमिश्नर उन्हें किसी तरह से राहत देंगे। कोर्ट ने कहा कि वह निगम को चुनाव प्रक्रिया के लिए तय की जाने वाली समयावधि के बारे में निर्देश नहीं दे सकता और यह एमसीडी प्रमुख को तय करना है। निगम ने लंबे समय से लंबित वार्ड समिति चुनाव की तिथि 28 अगस्त को घोषित की। स्थायी समिति के गठन के लिए वार्ड समिति का चुनाव कराना जरूरी है, जो नगर निगम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था है। 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के व्यय वाले प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए स्थायी समिति महत्वपूर्ण है।
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