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India News (इंडिया न्यूज़,CM Atishi News: दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ दायर मानहानि याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी तरह से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का अपमान नहीं किया है। जानिए अदालत ने क्या कहा।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आतिशी ने जो आरोप लगाए थे, वे राजनीतिक भ्रष्टाचार के संदर्भ में थे और यह उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत आता है। अदालत ने यह भी कहा कि आतिशी एक “व्हिसलब्लोअर” की भूमिका में थीं, इसलिए उनके बयानों को मानहानि नहीं माना जा सकता। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने अपने आदेश में कहा कि आतिशी द्वारा किए गए ट्वीट और प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लगाए गए आरोप एक संभावित आपराधिक कृत्य के संबंध में विशिष्ट जानकारी देने के समान थे। यह मामला तब शुरू हुआ जब बीजेपी नेता और दिल्ली इकाई के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने आतिशी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने बीजेपी पर विधायकों को खरीदने के लिए 20-25 करोड़ रुपये की पेशकश करने का झूठा आरोप लगाया था।
अदालत ने कहा कि आतिशी के आरोप भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 के तहत मानहानि की श्रेणी में नहीं आते हैं। बल्कि, ये आरोप चुनावी बॉन्ड मामले और अन्य अदालती फैसलों के तहत नागरिकों के “जानने के अधिकार” से जुड़े हैं। न्यायमूर्ति गोगने ने कहा कि इन आरोपों की जांच करना जांच एजेंसियों का काम है, लेकिन इन आरोपों को मानहानि का आधार नहीं बनाया जा सकता।
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न्यायालय ने अपने फैसले में इस बात पर भी हैरानी जताई कि जिन आरोपों को लेकर अरविंद केजरीवाल को समन नहीं भेजा गया, उन्हीं आरोपों को दोबारा ट्वीट करने पर आतिशी को समन जारी कर दिया गया। अदालत ने कहा, “यह चौंकाने वाली बात है कि कपूर ने केजरीवाल को समन न भेजे जाने के फैसले को चुनौती नहीं दी, लेकिन आतिशी को आरोपी बनाने पर जोर दिया।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि आतिशी के आरोपों की सत्यता की जांच करना कानून प्रवर्तन एजेंसियों का काम है। लेकिन इस तरह के राजनीतिक आरोपों का जवाब अदालतों में नहीं, बल्कि चुनावी मंचों पर दिया जाना चाहिए। अदालत ने बीजेपी नेता कपूर की मंशा पर भी सवाल उठाए और कहा कि उनकी शिकायत का उद्देश्य “आपराधिक जांच को प्रभावित करना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा जानने के अधिकार को दबाने का प्रयास” था।
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