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India News (इंडिया न्यूज),Delhi Air Pollution: दिल्ली में हर साल बढ़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण पाने में असफल रहने पर सर्वोच्च न्यायालय ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को कड़ी फटकार लगाई। न्यायमूर्ति एएस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि समस्या पर चर्चा तो हो रही है, पर समाधान के लिए जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने इसे ‘कड़वी सच्चाई’ करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति एजी मसीह भी शामिल थे, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सीएक्यूएम द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है। पिछले हफ्ते, अदालत ने सीएक्यूएम से दिल्ली की खराब हवा के मुख्य कारणों और पराली जलाने के मुद्दे पर उठाए गए कदमों की जानकारी मांगने के लिए एक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था।
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न्यायमूर्ति ओका ने पैनल की बैठकें न होने पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पिछले नौ महीनों में सिर्फ तीन बार बैठकें हुईं, जिनमें पराली जलाने के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई। सितंबर में एक भी बैठक न होने पर उन्होंने पैनल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने भी यह पूछते हुए पैनल की गंभीरता पर संदेह जताया कि सुरक्षा और प्रवर्तन के लिए 11 सदस्यीय उप-समिति की बैठक क्यों की गई।
सरकार के वकील ने जब बताया कि लोक सेवक के आदेशों की अवज्ञा से संबंधित धारा के तहत एफआईआर दर्ज की गई है, तो अदालत ने इसे ‘सबसे नरम प्रावधान’ बताते हुए असंतोष जताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीएक्यूएम अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में कड़े प्रावधान हैं, लेकिन उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। सरकारी वकील ने सफाई दी कि वायु प्रदूषण का स्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है, इसलिए कठोर कदम नहीं उठाए गए।
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