Delhi Budget 2023: देश की राजधानी दिल्ली में आज यानि मंगलवार 21 मार्च को केजरीवाल सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपना बजट पेश करने वाली थी। सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं लेकिन एक दिन पहले खबर आती है कि अब वह बजट पेश नहीं करेगी। इस बात की जानकारी खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दी।
केंद्र से नहीं मिली बजट पेश करने की मंजूरी
इस बात की जानकारी देते हुए दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के बजट पेश करने पर रोक लगा दी है। सीएम केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं मिलने की वजह से हम कल दिल्ली का बजट पेश नही कर पाएंगे।
LG ने दर्ज की थी 5 आपत्तियां
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार बजट तैयार करके उसमें मंजूरी पाने के लिए LG के पास भेजती है, जिसके बाद LG केंद्रीय गृह मंत्रालय के माध्यम से उसे राष्ट्रपति के पास भेजते हैं। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही दिल्ली विधानसभा में बजट पेश होता है। लेकिन इस बार केजरीवाल सरकार ने जो बजट तैयार करके LG के पास भेजा था, उस पर LG ने 5 आपत्तियों दर्ज करके गृह मंत्रालय भेज दिया था।
गृह मंत्रालय ने दिए थे बदलाव के निर्देश
17 मार्च को गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से कहा था कि इन आपत्तियों को दूर करें। लेकिन आम आदमी पार्टी ने ऐसा नहीं किया। दिल्ली LG ने वो 5 आपत्तियां क्या निकाली थी आइए पहले उसे जान लेते हैं।
जानें बजट से जुड़ी आपत्तियों के बारे में
- दिल्ली सरकार ने 78880 करोड़ के बजट में से कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए सिर्फ 20% ही रखा गया है, जो गलत है। क्योंकि इसी मद के पैसे से सारा विकास कार्य होता है। आधारभूत संरचना बनाया जाता और फिर उसी से विकास को गति प्रदान की जाती है। जिसका इस बजट में आभाव है।
- वहीं 4788 करोड़ रूपये को बिजली, पानी, और बस टिकट की सब्सिडी के लिए रखा गया है, जो कि गलत है। LG पहले ही सवाल उठा चुके हैं कि दिल्ली DERC के कहने बावजूद भी सब्सिडी DBT के द्वारा क्यों नहीं दिया जाता है। इसके साथ बजट में DTC और जल बोर्ड के नुकसान की भरपाई के लिए भी बजट रखा गया है और ये भी गलत है। यानी अगर DTC और जलबोर्ड पहले से ही घाटे में है तो लोगों को फ्री में ये सुविधा कैसे दी जा रही है।
- बजट में कहा गया कि संसाधनों की कमी होने पर 10000 करोड़ का लोन NSSF डिपॉजिट के बदले लिया जाएगा। जिसे बाद में चुकाया जाएगा। इस पर LG का कहना है कि ये लोन भी दिल्ली की जनता के ऊपर एक बोझ है और अगर लोन लेना भी है तो उसे विकास कार्य मे लगाया जाए ना कि सब्सिडी देने में।
- साल 2022-23 का विज्ञापन का रिवाइज एस्टिमेट 271 करोड़ है, जबकि बजट में 511 करोड़ का प्रावधान किया गया था। फिर इस साल के बजट में विज्ञापन का बजट 557 करोड़ क्यों रखा गया।
- दिल्ली एक शासित प्रदेश है, यहां पर केंद्र सरकार की तमाम योजनाएं लागू हैं। लेकिन यहां की जनता को आयुष्मान योजना का लाभ से क्यों बंचित रखा जा रहा है।
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