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Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, लिव-इन पार्टनर के साथ सेक्स पर पैरोल नहीं-Indianews

BY: Himanshu Pandey • LAST UPDATED : May 10, 2024, 5:22 pm IST
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Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, लिव-इन पार्टनर के साथ सेक्स पर पैरोल नहीं-Indianews

HC

India News (इंडिया न्यूज), Delhi High Court: एक कैदी ने अपने लिव-इन पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने पर पैरोल के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, उन्हें सफलता नहीं मिली। हाई कोर्ट ने उन्हें पैरोल देने से इनकार कर दिया। आरोपी शख्स ने अपनी लिव-इन पार्टनर को कोर्ट में अपनी पत्नी के तौर पर पेश करने की कोशिश की। उसने यह बात भी छिपाई कि उसकी पहले से ही एक पत्नी है। मामले में न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि भारतीय कानून किसी कैदी को अपनी पत्नी के साथ ‘वैवाहिक संबंध’ बनाए रखने के आधार पर पैरोल की अनुमति नहीं देता है। लिव-इन पार्टनर की तो बात ही छोड़ दें। कैदी ने अदालत को यह नहीं बताया कि वह अपनी पहली पत्नी से कानूनी तौर पर अलग नहीं हुआ है, जिससे उसके तीन बच्चे हैं।

हाई कोर्ट ने मामले में क्या कहा?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि भारतीय कानून और जेल नियम वैवाहिक संबंध बनाए रखने के आधार पर किसी कैदी को पैरोल की अनुमति नहीं देते हैं। खासतौर पर लिव-इन पार्टनर के साथ रिश्ता बनाए रखने के आधार पर तो बिल्कुल भी नहीं। कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति किसी भी मामले में दोषी है, वह अपने लिव-इन पार्टनर से बच्चे पैदा करने के मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकता है। इसी आधार पर कोर्ट ने उस कैदी को पैरोल देने से इनकार कर दिया।

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लिव-इन पार्टनर के साथ सेक्स पर पैरोल से इनकार 

मामले में न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे इस व्यक्ति को अपनी लिव-इन पार्टनर से शादी करने और सामाजिक संबंध बनाए रखने के लिए पैरोल देने से इनकार कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि कानून वैवाहिक संबंध बनाए रखने के आधार पर पैरोल देने की इजाजत नहीं देता, खासकर लिव-इन पार्टनर के साथ तो नहीं। दूसरे शब्दों में, यदि किसी को दोषी ठहराया गया है और उसकी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी पहले से ही जीवित है और उनके तीन बच्चे हैं, तो वह नियमों के मापदंडों के भीतर अपने लिव-इन पार्टनर से बच्चा पैदा करने के मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।

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