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India News (इंडिया न्यूज़), Delhi High Court: देश में आये दिन नये- नये मामले सामने आते रहते है वहीं इसी बीत दिल्ली से एक बड़ी खबर सामने आई है जहां हाई कोर्ट ने कहा है कि, पति की गलती के बिना पत्नी का बार-बार ससुराल छोड़ना मानसिक क्रूरता का कृत्य है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वैवाहिक संबंध आपसी सहयोग, समर्पण और वफादारी के माहौल में पनपते हैं और दूरी और परित्याग इस बंधन को तोड़ देते हैं। अदालत की यह टिप्पणी एक अलग रह रहे जोड़े को क्रूरता और पत्नी द्वारा छोड़े जाने के आधार पर तलाक देते समय आई।
बता दें कि, इस जोड़े की शादी साल 1992 में हुई थी और फैमिली कोर्ट ने पति को तलाक देने से इनकार कर दिया था। महिला के पति ने इसपर आरोप लगाते हुए तलाक मांगा था कि उसकी पत्नी गुस्सैल और बेचैन स्वभाव की है और कम से कम सात बार उसे छोड़ चुकी है। पारिवारिक अदालत द्वारा तलाक देने से इनकार करने को चुनौती देने वाली अपील को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा कि महिला अपने पति से सात बार अलग हो चुकी है और प्रत्येक की अवधि तीन से 10 महीने की थी। पीठ में न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा भी शामिल हैं।
हाई कोर्ट ने मामले को लेकर कहा कि, लंबे समय तक अलग रहने से वैवाहिक रिश्ते को अपूरणीय क्षति हो सकती है, जो मानसिक क्रूरता है और वैवाहिक संबंधों से वंचित करना अत्यधिक क्रूरता का कार्य है। अदालत ने कहा, “यह एक स्पष्ट मामला है जहां प्रतिवादी (पत्नी) ने अपीलकर्ता की किसी भी गलती के बिना, समय-समय पर वैवाहिक घर छोड़ दिया। समय-समय पर प्रतिवादी का इस तरह जाना मानसिक क्रूरता का कृत्य है, जिसे अपीलकर्ता (पति) को बिना किसी कारण या औचित्य के भुगतना पड़ा।” पीठ ने आगे कहा कि, ”यह अपीलकर्ता को मानसिक पीड़ा पहुंचाने का मामला है। जिसके लिए वह तलाक का हकदार है।”
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