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India News (इंडिया न्यूज़),Delhi Services Bill:दिल्ली सेवा विधेयक(Delhi Services Bill) को लेकर देश की राजनीति में गर्माहट बरकरार है। जिसके बाद ऐसी संभावना जताई जा रही है कि, केंद्र सरकार आज दिल्ली सेवा विधेयक को राज्यसभा में पेश कर सकती है। जानकारी के लिए बता दें कि, बीजेडी, टीडीपी, वाईएसआरसीपी के समर्थन और बसपा के अनुपस्थित रहने के फैसले से उच्च सदन में भी विधेयक के पास होने का रास्ता साफ हो गया है। जहां राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अफसरों की नियुक्ति औैर तबादले में उपराज्यपाल के फैसले को ही अंतिम माने जाने संबंधी विधेयक पर गुरुवार को लोकसभा ने मुहर लगा दी।
बीते दिनों लोकसभा में विधेयक पर हो रहे चर्चा के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच जमकर वार-पलटवार हुआ। जहां विपक्ष ने विधेयक को संघवाद की भावना के खिलाफ और राज्य के अधिकारों पर डाका करार दिया, जिसका जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे जनता के हित में और पूरी तरह सांविधानिक बताया है।
मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, विधेयक पर साढ़े चार घंटे तक चर्चा चली जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूछा कि, आज विपक्ष को मणिपुर हिंसा की याद क्यों नहीं आ रही? विपक्ष प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग क्यों नहीं कर रहा? इससे पहले भी जब नौ विधेयक पारित हुए, तब विपक्ष ने चर्चा में हिस्सा क्यों नहीं लिया? इसके साथ हीं शाह ने आरोप लगाया कि, केजरीवाल सरकार पाप छिपाने के लिए अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है। दिल्ली सरकार ने विजिलेंस विभाग को इसलिए निशाना बनाया, क्योंकि वहां आबकारी घोटाले की फाइल, सीएम के नए बंगले के निर्माण पर अवैध रूप से हुए खर्च की फाइल, उनकी पार्टी के प्रचार पर हुए 90 करोड़ खर्च की जांच की फाइल बंद थीं।
विधेयक के विरोध में बात करते हुए आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने गुरुवार को एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि, केंद्र सरकार दिल्ली सेवा बिल के सहारे आप सरकार को अस्थिर करना चाहती है। इस बिल में नौकरशाही को और अधिक शक्ति दी जा रही है, जिसके बाद वे मंत्री की बात तक नहीं सुनेंगे। इससे मंत्री गुलाम बनकर रह जाएंगे। चड्ढा ने कहा कि दिल्ली सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही है। जनता ने आप सरकार को काम करने के लिए चुना है। दिल्ली में साल 2015 के बाद से केंद्र सरकार को डर सताने लगा है कि जब तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं, तब तक दिल्ली में सत्ता हासिल नहीं हो सकती। ऐसे में दिल्ली सरकार को सारी शक्ति छीनकर कमजोर कर दिया जाए।
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