संबंधित खबरें
'जनता को पसंद आया …', पंजाब उपचुनाव के नतीजों को केजरीवाल ने बताया दिल्ली चुनाव का सेमीफाइनल; किया ये बड़ा दावा
देह-व्यापार रैकेट का भंडाफोड़, अवैध अड्डे पर ग्राहक बनकर पहुंचा पुलिस वाला, पैसों के साथ दलाल गिरफ्तार
Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा हुई और जहरीली, AQI 400 के पार
बुलंदशहर के सिपाही की दिल्ली में हत्या, परिजनों में मचा हड़कंप
इंस्टाग्राम पर हुए प्यार को पाने के लिए 5 साल की बेटी का गला घोंटा, पुलिस पूछताछ में कबूला जुर्म
Delhi Crime News: दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ा 30 हजार का इनामी बदमाश, डेढ़ साल से था फरार
Devasahayam Pillai
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
हिन्दू से ईसाई बने देवसहायम पिल्लई को संत की उपाधि मिलने की तारीख की घोषणा हो गई है। वे पहले ऐसे भारतीय हैं जिन्हें ईसाई धर्म में संत की उपाधि मिलेगी। देवसहायम पिल्लई हिंदू से ईसाई बने थे। वेटिकन उन्हें 15 मई 2022 को संत की उपाधि देगा। संत की उपाधि पाने वाले देवसहायम पहले आम भारतीय नागरिक होंगे।
उनके बिएटिफिकेशन की सिफारिश सबसे पहले 2004 में कन्याकुमारी के कोट्टार के साथ ही तमिलनाडु बिशप काउंसिल और कॉन्फ्रेंस आॅफ कैथोलिक बिशप आफ इंडिया ने की थी। इसके बाद 2012 में देवसहायम की 300वीं जयंती पर बिएटिफिकेशन हुआ। वेटिकन ने अपने नोट में उस वक्त दुनियाभर के ईसाई समुदाय से अपील की थी कि वो भारत में चर्च की खुशी में शामिल हों।
इसके बाद फरवरी 2020 में वेटिकन ने देवसहायम को संत की उपाधि दिए जाने की मंजूरी दी और फाइनली देवसहायम को 15 मई 2022 को संत की उपाधि दी जाएगी। देवसहायम के अलावा 5 अन्य लोगों को पोप फ्रांसिस संत की उपाधि से नवाजेंगे। सभी को वेटिकन में सेंट पीटर्स बेसिलिका में एक कैननाइजेशन मास के दौरान ये उपाधि मिलेगी।
आइए जानते हैं कौन है देवसहायम पिल्लई और क्यों उन्हें संत की उपाधि दी जा रही है?
23 अप्रैल 1712 में कन्याकुमारी के नट्टालम जिले में देवसहायम पिल्लई का जन्म हिन्दू नायर परिवार में हुआ था। देवसहायम ने त्रावणकोर के महाराजा मरेंद्र वर्मा की कोर्ट में सरकारी नौकरी की थी। यहीं पर उन्हें एक डच नौसैनिक कमांडर ने कैथोलिक धर्म के बारे में विस्तार से बताया था, जिसके बाद 1745 में देवसहायम ने धर्म परिवर्तन कर लिया था। अब उनका नाम लाजरेस हो गया था। लाजरेस का अनुवाद होता है ईश्वर ही मेरी मदद है। लेकिन उनके धर्म परिवर्तन करने से उनका राज्य खुश नहीं था।
वेटिकन के नोट के मुताबिक धर्म परिवर्तन के बाद उन्होंने ईसाई धर्म का प्रचार शुरू किया। इस दौरान वो समाज में फैले जातिगत मतभेद के बाद भी लोगों में समानता की बात करते थे। उनकी प्रवचनों से कुछ लोगों में गुस्सा बढ़ता गया और 4 साल बाद 1749 में उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था।
उनके विरोध का सिलसिला यही नहीं थमा, बल्कि 14 जनवरी 1752 को देवसहायम की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद से दक्षिण भारत के ईसाई समुदाय में उन्हें शहीद के तौर पर याद किया जाता है।
बता दें कि देवसहायम के सरनेम को लेकर भी 2017 में विवाद हो चुका है। दरअसल, 2 पूर्व आईएएस अधिकारियों ने 2017 में वेटिकन की कांग्रेगेशन के प्रमुख कार्डिनल एंजेलो अमातो को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने आग्रह किया था कि देवसहायम के सर नेम ‘पिल्लई’ को रिमूव किया जाए। क्योंकि यह एक जाति का टाइटल है। उस दौरान वेटिकन ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया था। लेकिन 2020 में वेटिकन ने जब उन्हें संत बनाए जाने की घोषणा की, तब उनके नाम से पिल्लई सरनेम को हटा दिया गया।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.