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'सरकार की इस ओर से …', अब इस दिन दिल्ली की ओर मार्च करेंगे किसान, शंभु बॉर्डर से सरवन सिंह पंढेर का बड़ा ऐलान

BY: Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : December 10, 2024, 5:56 pm IST
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'सरकार की इस ओर से …', अब इस दिन दिल्ली की ओर मार्च करेंगे किसान, शंभु बॉर्डर से सरवन सिंह पंढेर का बड़ा ऐलान

India News (इंडिया न्यूज), farmers protest : शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों ने एक बार फिर दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अब हम 14 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करेंगे। हमारे विरोध प्रदर्शन को 303 दिन पूरे हो चुके हैं और किसानों की भूख हड़ताल भी 15वें दिन पर पहुंच गई है। हमने हमेशा बातचीत का स्वागत किया है। सरकार की तरफ से किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया।

उन्होंने कहा कि दोनों संगठनों ने निर्णय लिया है कि हम 14 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था भेजेंगे। कल (बुधवार) हम किसान आंदोलन सफल हो लिए प्रार्थना करेंगे। हम उन किसानों की रिहाई की मांग करते हैं जिन्हें विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया है।

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6 और 8 दिसंबर को भी किया प्रयास

इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 101 किसानों के समूह ने 6 और 8 दिसंबर को पैदल दिल्ली जाने की दो बार कोशिश की थी, लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। इस दौरान किसानों और सुरक्षाबलों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई, जिसके बाद किसानों को पीछे धकेलने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए। इस दौरान कई किसान घायल भी हुए।

इस दिन से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं किसान

मालूम हो कि, सुरक्षा बलों द्वारा राजधानी दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पॉइंट पर डटे हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को दिल्ली की ओर कूच करने की कोशिश की थी, लेकिन सीमा बिंदुओं पर तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया था।

फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय” की मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों में प्रमुखता से शामिल है।

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