इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
हिमालय के संरक्षण और बचाव के लिए 10 वर्ष पहले शुरू की गई मुहिम हिमालय दिवस हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मनाया जा रहा है। इसी के तहत इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय के हिमालय अध्ययन केंद्र, हेस्को संस्था देहरादून एवं देहरादून हिमालयीय विश्वविद्यालय द्वारा एक राष्ट्रीय सम्मेलन बियॉन्ड हिमालया आयोजित किया गया। इस अवसर पर हिमालयी सरोकारों से सदैव जुड़े रहे लेखक और विचारक पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की पुस्तक हिमनद- मानव जीवन का आधार पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। क्रिस्टलीय बर्फ की चट्टान, तलछट एवं जल से निर्मित ऐसा क्षेत्र जहां पर वर्ष के अधिकांश समय बर्फ जमी होती है, को हिमनद कहा जाता है और ये हिमनद जलवायु परिवर्तन के संवेदनशील संकेतक होते हैं। जिनका पर्यावरण में महत्वपूर्ण योगदान है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्री डॉ. जितेंद्र प्रसाद, रक्षा तथा पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के अलावा पर्यावरणविद पद्मश्री डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के साथ हिमालयीय विश्वविद्यालय देहरादून के प्रति-कुलपति डॉ. राजेश नैथानी और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीसी जोशी के अलावा कई गणमान्य लोग वीडियो कॉन्फ्रेंस और प्रत्यक्ष रूप से मौजूद रहे।
हमें हिमालय को समझना पड़ेगा
हिमालय पर हो रहे कई शोध
डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि हिमालय पर देश में विभिन्न प्रकार के शोध किए जा रहें हैं। उन्होंने सभी हित धारकों को एक मंच पर लाने की बात भी कही उन्होंने डॉक्टर अनिल जोशी और डॉक्टर निशंक कीं हिमालय दिवस की शुरुआत करने पर बधाई दी । किरण रीजिजु ने कहा कि हिमालय मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक है। हिमालय के सरंक्षण की हम सबको चिंता करनी पड़ेगी । केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट ने हिमालय के योगदान की चर्चा करते हुए हिमालय के पर्यावरण की रक्षा पर बल दिया। सीएसआईआर के डीजी डॉ शेखर सी मांड़े ने ने हिमालय पर शोध पर बल दिया। इस अवसर पर सभी लोगों की चिंता का विषय पर्यावरण में हो रहे बदलावों पर रहा। पुस्तक हिमनद-मानव जीवन का आधार के बारे में बोलते हुए डॉ. राजेश नैथानी ने कहा कि हिमालय पर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से विश्व की आधी से अधिक मानवता जुड़ी है मानवीय अस्तित्व का आधार हिमालय ही है।