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India News (इंडिया न्यूज), Delhi News: नई दिल्ली सीट पर तीनों पार्टियां आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने अपने अपने कैंडिडेट्स की घोषणा कर दी है। आप से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा और कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित इस साल के विधानसभा चुनाव में अपनी अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं। इस सीट पर तीनों दलों ने अपनी पूरी ताकत क्यों झोंक दी है, दलों को दिल्ली विधानसभा चुनाव से इतना लगाव क्यों हैं,,, कहीं ऐसा तो नहीं जो इस सीट पर जीत हासिल की, वहीं, सत्ता पर काबिज हुआ । शायद आप इससे इतिफाक नहीं रखते हों, लेकिन, आंकड़े तो उसी ओर इशारा कर रहे हैं कि नई दिल्ली विधानसभा सीट है सत्ता की गारंटी ! चलिए आंकड़ों पर का नजर डालते हैं:-
राजधानी में पहला विधानसभा चुनाव
दिल्ली का पुनर्गठन होने के बाद 1993 में राजधानी में पहला विधानसभा चुनाव हुआ था, उस वक्त साल 1993 में बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के बेटे कीर्ति आजाद ने नई दिल्ली सीट से 3,803 वोट से जीत दर्ज कर बीजेपी का परचम लहराया था और तब पहली बार बीजेपी दिल्ली में सरकार बनाई थी।
वहीं, साल 1998 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर शीला दीक्षित पहली बार नई दिल्ली से चुनाव लड़ी और 5,667 वोट से जीत के साथ सत्ता पर काबिज हुई। इसी सीट से साल 2003 में 12,935 वोट से जीतकर दोबारा शीला दीक्षित ने सरकार बनाई और दोबारा मुख्यमंत्री भी बनी। उन्होंने तीसरी बार भी नई दिल्ली विधानसभा सीट से 13,982 वोटों जीता और सीएम पद की हैट्रिक लगाई।
चुनाव पूरी दिल्ली के लिए चौंकाने वाला
जबकि, साल 2013 का विधानसभा चुनाव पूरी दिल्ली के लिए चौंकाने वाला रहा। नई दिल्ली विधानसभा सीट से साल 2013 में पहली बार अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़े और 25,864 मतों से चुनाव जीतकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने। इस सीट पर साल 2015 में केजरीवाल ने दोबारा 31,583 वोट्स से चुनाव जीता और सत्ता हासिल की। इनकी जीत का ये सिलसिला यहीं नहीं रूका । नई दिल्ली विधानसभा सीट से साल 2020 में 21,697 वोटों से जीतकर केजरीवाल ने हैट्रिक लगाई और सत्ता पर काबिज हुए।वहीं, साल 2013 में बीजेपी सबसे ज्यादा 32 सीटें जीती थीं, लेकिन, उस वक्त भाजपा नई दिल्ली सीट हार गई थी और सरकार नहीं बना पाई। ऐसे में अब आप ही तय करें कि नई दिल्ली विधानसभा सीट की जीत सत्ता की गारंटी है या नहीं।
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