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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद 2 सितंबर को महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। संभावना है कि इस महत्वपूर्ण बैठक में परिषद आतंकवाद विरोधी पाठ्यक्रम को मंजूरी देने पर चर्चा करेगी। जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के एक वर्ग ने इसमें जिहादी आतंकवाद को कट्टरपंथी-धार्मिक आतंकवाद का एक मात्र रूप बताए जाने के आधार पर पाठ्यक्रम शुरू करने पर आपत्ति जताई है। इसके साथ ही अन्य काफी पाठ्यक्रम में यह भी दावा किया गया है कि सोवियत संघ और चीन में कम्युनिस्ट शासन आतंकवाद के सरकारी-प्रायोजक थे, जिन्होंने कथित तौर पर कट्टरपंथी इस्लामी राज्यों को प्रभावित किया था। ज्ञात हो कि अगस्त के शुरू में यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल ने इस कोर्स को मंजूरी दी थी। जबकि दोहरी डिग्री इंजीनियरिंग छात्रों के लिए प्रस्तावित पाठ्यक्रम वैकल्पिक होगा। उधर जेएनयू शिक्षक संघ की सचिव मौसमी बसु ने कहा कि 2 सितंबर को कार्यकारी समिति की बैठक प्रस्तावित है, जिसमें इस पाठ्यक्रम को मंजूरी देने पर विचार किया जाएगा। कुछ साल पहले विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसा करने की कोशिश की थी और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने आपत्ति जताई थी। जिसके बाद इसे वापस ले लिया गया था। उनके अनुसार कुछ सदस्यों ने अकादमिक परिषद की बैठक में पाठ्यक्रम का विरोध किया, लेकिन उन्हें अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी गई।
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