MSP Implemented in the Country

इंडिया न्यूज़ नई दिल्ली

गत दिवस देश के नाम संबोधन करते हुए प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की तो किसान भी ढोल की थाप पर थिरकते दिखे। किसानों ने भी जीत की खुशी मिठाईयां में बांटते हुए एक दूसरे का मुंह मीठा करवाया। ऐसे में पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी किसानों की मांग का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिख मांग मानने की बात अपील की है। उन्होंने चिट्ठी  के माध्यम से किसानों का पक्ष रखते हुए लिखा है कि आंदोलन के दौरान मरे किसानों को केंद्र सरकार एक-एक करोड़ का मुआवजा भी दे। जिससे कि पीड़ित परिवार अपनी गुजर बसर कर सकें। बताते चलें कि वरुण गांधी से पूर्व जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी किसानों के पक्ष में बयान दे चुके हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसान आंदोलन खत्म करवाने की बात कहते हुए किसानों की बात मानने की बात कही थी।

एमएसपी पर किसानों के सुर के साथ सांसद ने मिलाई ताल(MSP Implemented in the Country)

पीएम मोदी को लिखे खत में भाजपा सांसद वरुण गांधी ने खुद की सरकार से मांग की है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग भी सरकार को जल्द ही मान लेनी चाहिए। जिससे कि प्रदर्शनकारी किसान जल्दी से जल्दी अपने परिवारों के बीच पहुंच जाएं। अगर सरकार कृषि कानून पहले ही वापस ले लेती तो सैंकड़ों किसानों को जान से हाथ नहीं धोना पड़ता। और न ही किसान खेत छोड़ सड़कों पर गर्म-सर्द रातें काटने को मजबूर होते।

देश में एमएसपी को लेकर नहीं एक कानून(MSP Implemented in the Country)

बेशक पीएम ने कृषि कानून वापस लेने की बात कह दी हो। लेकिन किसानों की एमएसपी के लिए भी लंबे समय से संघर्षरत हैं। बता दें कि न्यूनतम समर्थन मूल्य देश के कई राज्यों में नहीं दिया जा रहा है। जिसके कारण किसानों की माली हालत बद से बदत्तर होती जा  रही है। ऐसे में धरने पर बैठे किसान नेताओं का कहना है कि जब जीएसटी पूरे देश पर एक समान लागू हो सकती है तो एमएसपी लागू करने में सरकार को क्या एतराज है। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चे की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत समेत सभी किसान नेताओं ने सरकार से पूरे देश में एमएसपी लागू करने की मांग की है।

आंदोलन में सैंकड़ो किसानों ने दी प्राणों की आहुति(MSP Implemented in the Country)

धरना दे रहे संयुक्त मोर्चे पर बैठे किसान नेताओं का कहना है कि जिस तरह से कानून को अमली जामा पहनाया गया था। उसी तरह इसको निरस्त किया जाए। जब तक संसद से कृषि कानून रद्द नहीं होते तब तक आंदोलन यूं ही चलता रहेगा। किसान नेताओं ने कहा है कि कृषि कानूनों को निरस्त करवाने में हमारे 700 किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। ऐसे में केवल घोषणा करने से हम आंदोलन खत्म नहीं करने वाले।

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