इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Parliament Complex) । संसद सत्र से पहले ही राजनीति गरमाने लगी है। संसद परिसर में अब धरना प्रदर्शन रोक सर्कुलर को लेकर विपक्ष हमलावर हो गई है। गौरतलब है कि एक दिन पहले असंसदीय शब्दों की सूची को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद हो गया था। शुक्रवार को फिर एक ऐसे मुद्दे को लेकर विपक्ष ने विवाद खड़ा कर दिया जो लंबे वक्त से संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा रहा है और वह संप्रग काल में भी होता रहा है। राज्यसभा सचिवालय की ओर से एक सर्कुलर जारी हुआ जिसमें संसद परिसर के अंदर धरना, विरोध प्रदर्शन, उपवास, धार्मिक अनुष्ठान आदि की अनुमति न होने की बात कही गई थी।
इस सर्कुलर को विपक्ष ने छूटते ही इसे ‘लोकतंत्र की आवाज को कुचलने का एक और कदम’ करार दे दिया। मगर संसदीय सचिवालय ने इसे गैर जरूरी विवाद बताते हुए साफ किया कि सत्र से पहले इस तरह के सर्कुलर नियमित रूप से जारी होते रहे हैं। कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान भी इस तरह के सर्कुलर जारी किए गए थे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस विवाद को अनावश्यक बताते हुए कहा कि संसद की गरिमा को राजनीतिक वाद-विवाद का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। राज्यसभा सचिवालय की ओर से गुरुवार को जारी सर्कुलर पर विवाद की शुरूआत कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश के बयान से हुई। उन्होंने सर्कुलर की प्रति ट्वीट की और पीएम नरेन्द्र मोदी पर परोक्ष कटाक्ष करते कहा कि अब संसद परिसर में धरना प्रदर्शन भी मना है।
जयराम रमेश के बयान के बाद तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे असंसदीय शब्दों की नई सूची के प्रसंग से जोड़ते हुए भाजपा सरकार पर हमलावर हो गई। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट करते हुए कहा कि भारत की आत्मा, उसके लोकतंत्र और उसकी आवाज को दबाने की कोशिश विफल हो जाएगी। माकपा नेता ने यह भी कहा कि सरकार जितनी बेकार है, उतनी ही कायर है।
राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि यह कहने के लिए बुलेटिन लाना है कि हम संसद के अंदर धरना नहीं दे सकते। यह संसद को कब्र तक ले जाने का प्रयास है। हम मांग करते हैं कि लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।
शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने भी सरकार पर इसको लेकर तीखा तंज कसा। आर्श्चय की बात है कि इनमें कई नेता वर्षों से संसद में हैं। लेकिन उन्हें इसका अहसास ही नहीं था कि यह प्रक्रिया तो वर्षों से चल रही है। फिर भी संसद परिसर में लगातार ऐसे प्रदर्शन होते रहे हैं। हर सत्र से पहले यह सर्कुलर भी जारी किया जाता है कि सदस्य बैनर पोस्टर लेकर सदन के अंदर नही आएंगे। लेकिन उसका भी खुलेआम उल्लंघन होता रहा है।
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