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Pollution in Yamuna दोनों राज्य यमुना में छोड़ रहे हैं गंदा पानी
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Pollution in Yamuna राष्टÑीय राजधानी में इन दिनों यमुना नदी के पानी में प्रदूषण रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इस कारण इन दिनों यमुना में पानी के ऊपर झाग बह रही है। यह न केवल जलीय जीवों बल्कि इंसानों के लिए भी जानलेवा है। यमुना में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने के कारण दिल्ली के कई हिस्सों में पानी की सप्लाई बाधित हुई थी।
इसी बीच दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने यमुना में बढ़ रहे प्रदूषण के मामले में उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पड़ोसी राज्य से नदी में झाग रोकने के लिए अपनी कार्य प्रणाली में सुधार करने का आग्रह किया है।
डीजेबी के उपाध्यक्ष ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि यूपी और हरियाणा की सरकारों को इस बात की परवाह नहीं है कि वे यमुना में गंदा पानी छोड़ रहे हैं। वहीं डीजेबी अपनी एसटीपी की क्षमता बढ़ाने पर लगातार काम कर रहा है, ताकि अनुपचारित अपशिष्ट पानी यमुना में नहीं छोड़ा जाए। उधर, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण यमुना में बन रहे झाग का खुलासा करते हुए राघव चड्ढा कहा कि ओखला बैराज उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग के अधीन आता है।
उसके ढुलमुल रवैये के कारण चारों तरफ जलकुंभी के पौधे उग आते हैं। यह समझने की जरूरत है कि जब ये जलकुंभी के पौधे सड़ जाते हैं। तब वे फॉस्फेट जैसे सर्फेक्टेंट छोड़ते हैं। उन्होंने बताया कि फास्फेट जैसे सर्फेक्टेंट वाला पानी जब कालिंदी कुंज में ऊंचाई से गिरता है, तो यह झाग पैदा करता है। बड़ी मात्रा में निकलने वाले झाग पानी की सतह पर तैरते हैं। इस झाग को हटाना बेहद मुश्किल होता है।
डीजेबी उपाध्यक्ष ने कहा कि इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर में संचालित कागज और चीनी उद्योग भी सर्फेक्टेंट युक्त गंदे पानी को ओखला बैराज में हिंडन नहर के माध्यम से कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी में छोड़ते हैं। इससे झाग बनने लगता है और यमुना में जमा हो जाता है। चड्ढा ने कहा कि उत्तर प्रदेश का गंदा पानी शाहदरा नाले से और हरियाणा का नजफगढ़ नाले के माध्यम से दिल्ली आता है। दोनों राज्यों के गंदे पानी की वजह से ओखला बैराज का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो जाता है।
यह अकेले दिल्ली की समस्या नहीं है। यमुना को साफ रखने के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा के सहयोग की आवश्यकता होगी। इसके अलावा वाईएमसी को उत्तर प्रदेश और हरियाणा द्वारा लगभग 150 एमजीडी गंदा पानी यमुना में छोड़ने के संबंध में भी बताया जा चुका है।
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