इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
Savarkar’s Apology : जिस मुद्दे को गैर दक्षिण पंथी लोग लंबे अरसे से उठाते रहे हैं, उस मुद्दे पर भाजपा ने ही मुहर लगा दी है। मतलब ये कि विनायक दामोदर सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी, इसकी पुष्टि हो गई है। यह स्वीकारोक्ति किसी विपक्षी दल के नेता की नहीं, बल्कि भाजपा के दिग्गज और वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की है। दरअसल, पिछले दिनों आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में विनायक दामोदर सावरकर पर एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर खूब चर्चा हो रही है। संघ और बीजेपी की तरफ से सावरकर पर पहली बार नया स्टैंड लिया गया है और लगे हाथ महात्मा गांधी को भी लपेट लिया गया है। सबके बावजूद यह स्वीकार लिया गया है कि सावरकर ने माफी मांगी थी। यह अपने आप में बड़ी बात है। (Savarkar’s Apology)
आपको याद होगा कि दिल्ली की एक रैली में कुछ वर्ष पूर्व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि संसद में भाजपा के लोगों ने कहा कि मैं भाषण के लिए माफी मांगू। मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं, राहुल गांधी है। माफी नहीं मांगूंगा। मर जाऊंगा लेकिन माफी नहीं मांगूंगा। रैली से ठीक पहले राहुल गांधी के माफी मांगने को लेकर बीजेपी के नेताओं ने संसद में काफी हंगामा किया था। कांग्रेस ने अपनी तरफ से बचाव की कोशिश की, लेकिन सत्ता पक्ष भारी पड़ा था। मामला भी कुछ ऐसा ही था। (Savarkar’s Apology)
असल में राहुल गांधी ने झारखंड की एक चुनावी रैली में मेड इन इंडिया की तर्ज पर रेप इन इंडिया बोल दिया था क्योंकि वो बलात्कार की कुछ घटनाओं को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करना चाहते थे। दरअसल, बात ये है कि सावरकर सावरकर भी परस्पर विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं के बीच अपने आलोचकों के निशाने पर रहे हैं, जबकि संघ और बीजेपी में उनको बहुत सम्मान देते हैं, जबकि वो भी उनसे जुड़े भी नहीं रहे। अंडमान की जेल में काला पानी की कुख्यात सजा काटने वाले सावरकर के माफीनामे को लेकर उनके आलोचक कायर करार देते हैं, दूसरी तरफ हिंदूवादी राजनीति करने वाली बीजेपी और शिवसेना जैसी पार्टियां सावरकर को हीरो की तरह पूजती हैं। महात्मा गांधी की हत्या को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तो शुरू से ही अपने राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहा है, लेकिन 2018 में बीजेपी नेता अमित शाह के एक बयान के बाद तस्वीर थोड़ी अलग नजर आने लगी थी।
अब जिस तरीके से सावरकर के मामले में राजनाथ सिंह ने महात्मा गांधी को घसीट लिया है, पूरी तस्वीर पूरी तरह साफ हो चुकी है। तस्वीर पर से पर्दा तो 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कदम से ही हट गया था, लेकिन स्थिति ज्यादा स्पष्ट अब जाकर हुई है। प्रधानमंत्री मोदी जब पहली बार संसद में सावरकर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो गांधी अपने आप पीछे छूट गये। दरअसल, संसद भवन में सावरकर और गांधी की तस्वीरें आमने सामने लगी थीं, ऐसे में कोई एक तस्वीर के सामने खड़ा होता तो दूसरी तस्वीर स्वयं पीछे छूट जाती। ये वाकया 28 मई, 2014 का है – नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बदल की शपथ लेने के ठीक दो दिन बाद सावरकर की 131वीं जयंती का मौका।
खैर, सावरकर को लेकर राजनाथ सिंह ने जो थ्योरी पेश की है, वो कुछ ऐसे है। राजनाथ कहते हैं कि सावरकर के विरूद्ध झूठ फैलाया गया। कहा गया कि वो अंग्रेजों के सामने बार-बार माफीनामा दिये, लेकिन सच्चाई ये है कि क्षमा याचिका उन्होंने स्वयं को माफ किये जाने के लिए नहीं दी थी, महात्मा गांधी ने उनसे कहा था कि दया याचिका दायर कीजिये । महात्मा गांधी के कहने पर वो याचिका दिये थे। सावरकर महात्मा गांधी की हत्या की साजिश रचने के आरोप में भी गिरफ्तार किये गये थे, लेकिन बाद में बरी भी हो गये थे। कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि जिस बात को लंबे अरसे विपक्ष कहते आ रहा है, उसे भाजपा और संघ ने खुद ही स्वीकार लिया है। यानी सावरकर ने माफी मांगी थी। चाहे वो किसी के कहने पर मांगी हो। फिलहाल इस मुद्दे पर बहस जारी है। (Savarkar’s Apology)
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