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India News (इंडिया न्यूज़), Arjun’s 7 Most Dangerous Weapons In Mahabharat: धर्म की रक्षा के लिए द्वापर युग में महाभारत का युद्ध हुआ था, जो इतिहास की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक मानी जाती है। इस युद्ध की सबसे खास बात यह थी कि भगवान श्री कृष्ण स्वयं अर्जुन के सारथी बने थे, जिससे अर्जुन की युद्ध क्षमता और भी बढ़ गई थी।
महाभारत के युद्ध में अर्जुन की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण थी कि अगर वे नहीं होते, तो पांडवों के लिए इस भयानक युद्ध को जीतना संभव नहीं होता। अर्जुन के पास कई दिव्यास्त्र थे, जो युद्ध के दौरान उनकी विजय में महत्वपूर्ण साबित हुए। आइए जानते हैं अर्जुन के पास कौन-कौन से खतरनाक और दिव्यास्त्र थे, जिनके बल पर उन्होंने महाभारत का युद्ध जीता।
पाशुपतास्त्र अर्जुन के पास ब्रह्मास्त्र के बाद दूसरा सबसे खतरनाक अस्त्र था। इसे भगवान शिव ने स्वयं अर्जुन को प्रदान किया था। इस अस्त्र की शक्ति इतनी अधिक थी कि यह संपूर्ण सृष्टि को नष्ट करने में सक्षम था। भगवान शिव अर्जुन से प्रसन्न होकर उन्हें यह दिव्यास्त्र प्रदान किया था, जिससे अर्जुन के सैन्य कौशल में अत्यधिक वृद्धि हुई।
वज्रास्त्र अर्जुन को उनके पिता इंद्र देव से प्राप्त हुआ था। इंद्र देव, जो स्वर्ग के देवता और वज्र के स्वामी माने जाते हैं, ने अर्जुन को यह दिव्यास्त्र दिया था। वज्रास्त्र अपनी अजेयता और अपार शक्ति के लिए प्रसिद्ध था, जिससे अर्जुन ने युद्ध में अपने शत्रुओं को पराजित किया।
यमदंड अस्त्र की शक्ति इतनी प्रबल थी कि इसके प्रयोग से किसी भी व्यक्ति के प्राण हरे जा सकते थे। यह अस्त्र यमराज से अर्जुन को प्राप्त हुआ था और इसकी जानकारी सिर्फ अर्जुन के पास थी। युद्ध के दौरान इस अस्त्र का प्रयोग करके अर्जुन ने कई महायोद्धाओं को परास्त किया।
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वरुणपाश अस्त्र नागपाश अस्त्र के विरुद्ध प्रयोग किया जाता था। इस अस्त्र की विशेषता यह थी कि इसे अर्जुन को स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने उनकी रक्षा के लिए दिया था। इस दिव्यास्त्र के प्रयोग से अर्जुन ने अपने शत्रुओं के नागपाश जैसे खतरनाक अस्त्रों का सामना किया और विजय प्राप्त की।
आदित्य अस्त्र भगवान सूर्य द्वारा अर्जुन को प्रदान किया गया था। भगवान सूर्य अर्जुन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें यह दिव्यास्त्र दिए थे। इस अस्त्र की शक्ति सूर्य के तेज और प्रकाश से संपन्न थी, जिससे अर्जुन ने युद्ध में कई महत्वपूर्ण जीत हासिल की।
गांडीव अर्जुन का मुख्य शस्त्र था, जो उन्हें अग्निदेव से प्राप्त हुआ था। यह धनुष इतना शक्तिशाली था कि इससे छोड़ा गया हर तीर अपने लक्ष्य को भेदता था। कहा जाता है कि गांडीव स्वयं दिव्यास्त्रों को धारण करने की क्षमता रखता था, जिससे अर्जुन को युद्ध में अत्यधिक लाभ हुआ।
ब्रह्मास्त्र, जो अर्जुन के पास सबसे शक्तिशाली अस्त्रों में से एक था, संपूर्ण सृष्टि को नष्ट करने में सक्षम था। इसे अर्जुन ने अपने गुरू द्रोणाचार्य से प्राप्त किया था। महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन ने इस अस्त्र का प्रयोग कर कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया और विजय प्राप्त की।
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अर्जुन के पास मौजूद ये दिव्यास्त्र ही थे, जिनके बल पर उन्होंने महाभारत का युद्ध जीता और धर्म की रक्षा की। इन अस्त्रों की दिव्यता और अर्जुन की युद्ध कौशल के कारण महाभारत का युद्ध इतिहास में अमर हो गया।
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