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India News (इंडिया न्यूज), Appropriate time for Aarti: हिंदू धर्म में रोजाना घर में भगवान की पूजा की जाती है। साथ ही उनकी विधिवत आरती की जाती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पूजा के बाद आरती करने से पूजा पूर्ण मानी जाती है और उसका पूरा लाभ भी प्राप्त होता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि शास्त्रों में पूजा और आरती से जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं। जिन्हें हर व्यक्ति को जानना चाहिए। दरअसल, सुबह की पूजा करने के बाद भी हम घरों में आरती करते हैं और शाम को भी आरती का नियम है। पूजा के दौरान हम सभी देवी-देवताओं का आह्वान करते हैं और उनकी पूजा करते हैं और आरती करते हैं। क्योंकि आरती को देवी-देवताओं की विदाई माना जाता है। वे हमें आशीर्वाद देकर अपने स्थान पर लौट जाते हैं, इसलिए आरती को सही तरीके से करना जरूरी है।
शास्त्रों में नियमों के अनुसार आरती करने के तीन मुख्य समय होते हैं। जिसमें सुबह, शाम और रात का समय शामिल है। अगर इन तीनों समय के बारे में विस्तार से जानें तो मंगला आरती सुबह, संध्या आरती संध्या काल (सूर्यास्त) के समय और शयन आरती रात में की जाती है। लेकिन ये आरतियां मंदिर में करना उचित माना जाता है। गृहस्थ लोगों के लिए सिर्फ संध्या आरती करना ही अच्छा माना जाता है। शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार सुबह की पूजा का समय सही मायने में ब्रह्म मुहूर्त माना गया है।
बता दें कि, अगर आपको सुबह भगवान की पूजा और आरती करनी है तो ब्रह्म मुहूर्त में ही करनी चाहिए। लेकिन आज की व्यस्त जिंदगी में गृहस्थों के लिए हर नियम का पालन करना संभव नहीं है। इसलिए अगर गृहस्थ सुबह पूजा करते हैं तो शाम को आरती करें। संध्या आरती करना उचित माना जाएगा। इसके अलावा शास्त्रों में बताया गया है कि गृहस्थ जीवन जीते हुए सुबह की पूजा दोपहर 12 बजे से पहले कर लेनी चाहिए, लेकिन पूजा के बाद आरती न करें। इससे आपकी पूजा में बाधा आती है क्योंकि शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त में की गई पूजा के बाद आरती को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
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