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India News (इंडिया न्यूज), Abu’l-Fath Jalal-ud-din Muhammad Akbar: अकबर, जो कि मुगल साम्राज्य का एक महान बादशाह था, ने गंगाजल को मिनरल वाटर मानने की मान्यता रखी थी। इसका कारण उसकी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ थीं। गंगाजल को भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र माना जाता है, और इसे शुद्धता और धार्मिकता का प्रतीक माना जाता है। कई हिंदू धर्मग्रंथों में गंगाजल को एक दिव्य तत्व के रूप में वर्णित किया गया है, जो हर प्रकार की अशुद्धि को दूर करने में सक्षम होता है।
अकबर के समय में, उसने विभिन्न धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक मान्यताओं का सम्मान किया और उनकी समझ को बढ़ाने का प्रयास किया। गंगाजल के प्रति उसकी श्रद्धा और मान्यता भी इसी का हिस्सा थी। इसके अतिरिक्त, गंगाजल के शुद्धता और पौष्टिकता के गुणों के बारे में जो मान्यताएँ थीं, वे भी इसके मिनरल वाटर मानने का एक कारण हो सकती हैं।
इसलिए, अकबर ने गंगाजल को मिनरल वाटर मानते हुए उसकी पवित्रता और शुद्धता का आदर किया, जो उसकी धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
जी हाँ! अकबर जब भी कही बहार तक जाया करता था वह अपने साथ गंगाजल लेकर जाया करता था या जिसके लिए वह कई बार उत्तर प्रदेश तो कई बार आगरा से भी इस जल को मंगवाया करता था। इस बात का जिक्र खुद अबुल फजल की किताब ‘आइन-ए-अकबरी’ में भी पाया गया है जिससे ये कई हद तक साफ़ होता हैं कि अकबर को गंगाजल कितना प्रिय था।
इसमें लेखक के अनुसार अकबर को गंगाजल से काफी प्रेम था और उसके लिए यह जरुरी भी था। इसलिए वो इसे अक्सर अपने सैनिकों से मंगवाया करता था और इसका सेवन किया करता था, यहां ता कि न सिर्फ अकबर बल्कि कई मुगल शासक गंगा जल को पवित्र मानते थे और उसकी कदर करते हुए उसका सेवन भी करते थे।
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