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India News (इंडिया न्यूज़), Surya Grahan 2024: दुनिया 2024 में पहला सूर्य ग्रहण देखने जा रही है। पृथ्वी पर लोग लाखों किलोमीटर की दूरी पर होने वाली इस खगोलीय घटना को देख पाएंगे। लेकिन सूर्य के पास रहने वाला आदित्य एल-1 इस घटना को नहीं देख सकेगा। इस ग्रहण की एक झलक पाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इसकी वजह भी बताई है।
दरअसल, आदित्य एल1 सैटेलाइट को ऐसी जगह पर स्थापित किया गया है, जहां से हर वक्त सूर्य की नजर रहेगी। स्थान का चयन करते समय भारतीय वैज्ञानिकों ने इस बात का विशेष ध्यान रखा था, कि ग्रहण के दौरान सूर्य कभी भी उपग्रह के सामने से ओझल न हो। इसको लेकर एस सोमनाथ मीडिया से बात करते हुए कहते हैं कि, ‘आदित्य L1 सूर्य ग्रहण नहीं देख पाएंगे, क्योंकि चंद्रमा लैग्रेंज पॉइंट 1 यानी L1 पॉइंट पर अंतरिक्ष यान के पीछे है। पृथ्वी से दिखाई देने वाले ग्रहण का उस स्थान पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। कहा जाता है कि लैग्रेंज प्वाइंट पृथ्वी से 15 लाख किमी की दूरी पर है। अंतरिक्ष यान को इस बिंदु के निकट हेलो कक्षा में स्थापित किया गया है।
बता दें कि, यह सूर्य ग्रहण करीब 52 साल में सबसे लंबा होगा। इससे पहले पूर्ण सूर्य ग्रहण 1971 में लगा था। इस बार ग्रहण की अवधि लगभग 5 घंटे 10 मिनट तक होगी। लगभग साढ़े सात मिनट की अवधि होगी जब पृथ्वी पर अंधकार होगा। इस दुर्लभ खगोलीय घटना का असर भारत पर नहीं पड़ेगा।
जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच एक सीधी रेखा में एक बिंदु के रूप में आता है, तो यह सूर्य को ढक लेता है। इससे सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर नहीं पड़ती और इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण माना जाता है। साल के पहले सूर्य ग्रहण को खग्रास सूर्य ग्रहण के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, सूर्य ग्रहण चार तरह के होते हैं, जिन्हें पूर्ण सूर्य ग्रहण, वार्षिक सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और हाइब्रिड सूर्य ग्रहण के रूप में जाना जाता है।
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