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एक मरे हुए इंसान की भस्म लेप से कैसे गर्म रहता है अघोरियों का शरीर? साइंस के दिमाग से भी परे है ये सब कुछ

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : January 26, 2025, 3:00 pm IST
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एक मरे हुए इंसान की भस्म लेप से कैसे गर्म रहता है अघोरियों का शरीर? साइंस के दिमाग से भी परे है ये सब कुछ

Facts About Aghori Sadhu: एक मरे हुए इंसान की भस्म लेप से कैसे गर्म रहता है अघोरियों का शरीर

India News (इंडिया न्यूज), Facts About Aghori Sadhu: सर्दियों के मौसम में जहां आम लोग खुद को गर्म रखने के लिए मोटे कपड़े, जैकेट, और स्वेटर पहनते हैं, वहीं नागा और अघोरी साधु बिना कपड़ों के रहते हैं। उनके शरीर पर केवल भस्म का लेप होता है। यह सवाल स्वाभाविक रूप से उठता है कि उन्हें इतनी कड़ी ठंड क्यों नहीं लगती है। आइए, इसे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने की कोशिश करते हैं।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

नागा साधु अपने जीवन को तपस्या, योग, और ध्यान में समर्पित करते हैं। उनके अनुसार, गहन साधना और तपस्या से शरीर की संवेदनशीलता कम हो जाती है। उनकी मानसिक शक्ति इतनी प्रबल होती है कि वे गर्मी, सर्दी, और अन्य प्राकृतिक परिस्थितियों से अप्रभावित रहते हैं।

योग और ध्यान के माध्यम से वे अपने शरीर और मन पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लेते हैं। यह प्रक्रिया उन्हें बाहरी परिस्थितियों से अलग करती है और उनके शरीर को कठोर वातावरण के अनुकूल बनाती है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

अगर इसे विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए, तो नागा साधुओं के शरीर पर लगाया गया भस्म (राख) एक प्राकृतिक इंसुलेटर की तरह कार्य करता है।

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1. भस्म का प्रभाव

भस्म, जिसे वे अपने शरीर पर लगाते हैं, ठंडी हवाओं को सीधे त्वचा के संपर्क में आने से रोकता है। यह शरीर की ऊष्मा को बाहर निकलने से भी रोकता है, जिससे शरीर का तापमान स्थिर रहता है। भस्म के ये गुण वैज्ञानिक दृष्टि से इंसुलेशन के समान हैं।

2. शरीर की अनुकूलता

नागा साधु कठिन वातावरण में लंबे समय तक रहने के कारण शरीर को कठोर तापमान का सामना करने के लिए प्रशिक्षित कर लेते हैं। यह उनकी जीवनशैली का हिस्सा बन जाता है।

3. खानपान

नागा साधु अपने भोजन में ऐसी वस्तुओं का सेवन करते हैं जो शरीर को अंदर से गर्मी प्रदान करती हैं। जड़ी-बूटियां और अन्य औषधीय पदार्थ उनके खानपान का मुख्य हिस्सा होते हैं।

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4. योग और प्राणायाम

योग और प्राणायाम के माध्यम से साधु अपनी आंतरिक ऊर्जा को नियंत्रित करते हैं। यह प्रक्रिया शरीर के तापमान को बनाए रखने में मदद करती है। प्राणायाम से फेफड़ों और रक्त प्रवाह में सुधार होता है, जो शरीर को प्राकृतिक गर्मी प्रदान करता है।

नागा साधुओं का ठंड से बचने का रहस्य उनकी कठोर साधना, भस्म का उपयोग, और उनके विशेष खानपान में छिपा है। उनका जीवन एक अनुशासन और साधना का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह केवल आध्यात्मिकता ही नहीं, बल्कि उनके जीवन की वैज्ञानिक समझ को भी दर्शाता है।

उनकी जीवनशैली हमें यह सिखाती है कि आत्मसंयम और मानसिक शक्ति से बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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