Ahoi Ashtami Star and Moon Rise in Rajasthan: अहोई अष्टमी 2025 (Ahoi Asthami 2025) आज पूरे देश मेें बड़ी धूमधाम से मानाया जा रहा है. इस दिन माता अहोई की पूजा का विशेष महत्व है. यह व्रत खासतौर से माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, बेहतर स्वास्थ्य और सुख समृद्धि के लिए रखा जाता है. इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है तारे और चंद्र के दर्शन, क्योंकि माना जाता है कि इन्हें अर्घ्य देने से माता अहोई अपनी विशेष कृपा से बच्चों की रक्षा करती हैं. यदि आप राजस्थान में हैं और अहोई अष्टमी 2025 का व्रत कर रहे हैं, तो यह जानना आवश्यक है कि तारे और चंद्र कब दिखाई देंगे और अर्घ्य देने का सही समय कब है.
राजस्थान में तारे कब निकलेंगे?
अहोई अष्टमी पर तारा पूजन व्रत का मुख्य अंग है. तारे को देखकर जल अर्पित करना व्रत की पूर्णता के लिए जरूरी माना जाता है. राजस्थान में तारे के दर्शन का समय शाम 6:25 बजे है. इस समय माताएं तारे को देखकर अर्घ्य दें और मंत्र “ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः” का उच्चारण करें. तारे को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलना शुभ माना जाता है.
राजस्थान में चंद्र कब दिखाई देंगे?
तारे के दर्शन के बाद यदि माता चाहें तो चंद्र दर्शन भी कर सकती हैं. चंद्र को जल अर्पित करने से संतान पर माता की विशेष कृपा और संरक्षण प्राप्त होता है. राजस्थान में चंद्र दर्शन का समय रात 11:20 बजे है. चंद्र दर्शन करते समय भी वही मंत्र उच्चारित करना शुभ है.
इस तरह करें पूजा
शाम को शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा करें. अहोई अष्टमी के दिन दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाकर या लगाकर पूजा की जाती है. सबसे पहले दीपक जलाएँ, फिर कलश स्थापित करें और रोली, चावल, फल और मिठाई चढ़ाएं. सात गांठों वाला धागा चढ़ाएं, अहोई माता की कथा सुनें और फिर अपनी संतान की कुशलता के लिए प्रार्थना करें. शाम को तारे निकलने के बाद तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोलें.