नरेश भारद्वाज, नई दिल्ली :
Akshaya Tritiya 2022 : इस बार अक्षय तृतीया पर 50 साल बाद ग्रहों का अद्भुत संयोग बन रहा है ग्रहों का यह अद्भुत संयोग देश और दुनिया को विवादों से निजात दिलाकर खुशहाली की ओर ले कर जाएगा। वहीं 27 अप्रैल, 2022 को शुक्र ग्रह की मीन राशि में गुरु बृहस्पति के साथ युति से यूक्रेन और रूस का युद्ध भी निर्णायक दौर में पहुंच जाएगा। अक्षय तृतीया के शुभ योग का असर भी इस पर पड़ेगा। वैशाख शुक्ल की अक्षय तृतीया इस बार मंगलवार, 3 मई को मनाई जाएगी।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, अक्षय तृतीय इस बार मंगल रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में मनाई जाएगी। शुभ योग में अक्षय तृतीया मनाने का ये संयोग 30 साल बाद बना है। इतना ही नहीं, 50 साल बाद ग्रहों की विशेष स्थिति भी बन रही है। ज्योतिषि के जानकार नरेश भारद्वाज का कहना है कि वैशाख शुक्ल तृतीया पर करीब 50 साल बाद दो ग्रह उच्च राशि में विद्यमान रहेंगे, जबकि दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में विराजमान होंगे।
शुभ संयोग और ग्रहों की विशेष स्थिति में अक्षय तृतीया पर दान करने से पुण्य की प्राप्ति होगी। इस दिन जल से भरे कलश पर फल रखकर दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।
अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र, शोभन योग, तैतिल करण और वृषभ राशि के चंद्रमा के साथ आ रही है। इस दिन मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र होने से मंगल रोहिणी योग का निर्माण होने जा रहा है। शोभन योग इसे ज्यादा खास बना रहा है। साथ ही पांच दशक बाद ग्रहों का विशेष योग भी बन रहा है।
अक्षय तृतीया पर चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेंगे। वहीं शनि स्वराशि कुंभ और बृहस्पति स्वराशि मीन में विराजमान रहेंगे। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चार ग्रहों का अनुकूल स्थिति में होना अपने आप में बहुत ही खास है। अक्षय तृतीया पर बन रहे इस शुभ संयोग में मंगल कार्य करना बहुत ही शुभ और फलदायी होगा।
अक्षय तृतीय को कई जगहों पर आखा तीज भी कहा जाता है। आखा तीज पर दो कलश का दान महत्वपूर्ण होता है। इसमें एक कलश पितरों का और दूसरा कलश भगवान विष्णु का माना गया है। पितरों वाले कलश को जल से भरकर काले तिल, चंदन और सफेद फूल डालें। वहीं, भगवान विष्णु वाले कलश में जल भरकर सफेद जौ पीला फूल, चंदन और पंचामृत डालकर उस पर फल रखें। इससे पितृ और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
अक्षय तृतीया तिथि आरंभ- 3 मई सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर
अक्षय तृतीया तिथि समापन- 4 मई सुबह 7 बजकर 33 मिनट तक।
रोहिणी नक्षत्र- 3 मई सुबह 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर 4 मई सुबह 3 बजकर 18 मिनट तक होगा।
अक्षय तृतीया का दिन शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ होता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है. इस दिन विवाह के साथ-साथ वस्त्र, सोने-चांदी के आभूषण, वाहन, प्रॉपर्टी, आदि की खरीददारी भी शुभ मानी गई है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व बताया गया है। अगर आप ऐसा करते हैं तो धन-धान्य में खूब बढ़ोतरी होती है।
1. ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इस दिन अक्षय तृतीया के साथ परशुराम जंयती भी मनाई जाती है।
2. वहीं, एक मान्यता यह भी है कि इस दिन भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं।
3. ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन रसोई घर और अनाज की पूजा करनी चाहिए।
4. अक्षय तृतीया के दिन भगवान शंकर मां लक्ष्मी की पूजा करने के लिए कुबेर जी को कहा था। इसलिए आज के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है।
5. माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन नर-नारायण ने भी अवतार लिया था।
6. महाभारत के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने वनवास के दौरान पांडवों को अक्षय पात्र भेंट किए थे। अक्षय पात्र कभी भी खाली नहीं रहता। ये हमेशा अन्न से भरे रहते थे। जिससे पांडवों को अन्न की प्राप्ति होती रहती थी।
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