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30 अप्रैल पहली मई और 16 मई को कम अंतराल पर ग्रहण! जानिए क्या होगा देश, दुनिया और आप पर प्रभाव? Shanichari Amavasya 2022

Sameer Saini • LAST UPDATED : April 28, 2022, 5:48 pm IST

MADAN-GUPTA-SPATU

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिविद् :

इस साल का पहला खंडग्रास सूर्यग्रहण भारतीय समयानुसार, 30 अप्रैल, शनिवार की रात्रि 00ः16 मिनट से लेकर सुबह 04ः08 बजे तक लग रहा है। इसी प्रकार खग्रास चंद्रग्रहण, 16 मई,सोमवार को हमारे देश के समयानुसार, 7ः58 से 11ः25 तक लगेगा। खगोलीय कारणों से ये दोनों ग्रहण ही भारत में नहीं दिखेंगे। इसलिए परंपरागत तौर पर इनका सूतक भी नहीं लगेगा। हां जिन देशों में भारतीय हैं,वे वहां सूतक तथा अन्य सावधानियों का ध्यान रख सकते हैं।

धार्मिक मान्यता अनुसार ग्रहण जहां दिखाई नहीं देता वहां सूतक नहीं लगता है। इस बार इसका असर भारत में देखने को नहीं मिलेगा जिससे उसका सूतक भारत में देखने को नहीं मिलेगा। शनिवार को दक्षिण अमेरिका, दक्षिण प्रशांत महासागर अटलांटिक, अंटार्कटिका, दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से आदि जगहों पर ग्रहण दिखाई देगा और वहां पर सूतक का लगेगा।

विश्व पटल पर दोनों ग्रहणों का असर क्या होगा?

ब्रह्मांड में इस दौरान गुरु-शुक्र का ग्रह युद्ध चल रहा होगा। कुछ देशों में गृह युद्ध और विश्व युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं परंतु विश्व युद्ध नहीं होगा। दो विपरीत ग्रह मंगल और शनि,कुंभ राशि में बहुत अच्छा फल नहीं देते। विश्व स्तर पर रुस और युक्रेन के मध्य शांति स्थापित होने से पहले एक बड़ी घटना घटने की संभावना है। अमेरिका, पाकिस्तान जैसे देशों में हिंसक घटनाएं, दैवीय, प्राकृतिक आपदाएं बढ़ सकती हैं।

भारत में भी धार्मिक उन्माद, मंगल-शनि की युति के कारण मई के अंत तक बढ़ सकता है। इस अवधि में गर्मी अप्रत्याशित रुप से बढ़ेगी,कई नगरों में पारा 50 डिग्री तक जा सकता है। एक पखवाड़े में दो ग्रहणों के कारण, 41 दिनों के अंदर प्राकृतिक घटनाएं, भूकंप, सुनामी,रेल ,वायुयान दुर्घटनाएं सुनाई दे सकती हैं। व्यक्तिगत तौर पर शनि के कारण जिन लोगों की कुंडली के अनुसार, शनि की साढ़सती, या ढैया आरंभ हुआ है या चल रहा है, वे भी दैनिक कार्यों में 18 मई तक सावधानी रखें क्योंकि दो विरोधी ग्रह-शनि व मंगल साथ साथ हैं।

क्या है सूर्य ग्रहण ?

Surya Grahan 2022

सूर्य ग्रहण चार टाइप के होते हैं। सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा ठीक उसी समय पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है। जब ये मौका आता है तब चंद्रमा सूर्य को ढंक लेता है और सूर्य की किरणों को पृथ्वी पर पहुंचने से रोकता है। इस दुर्लभ घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर सूर्य के चक्कर लगाती है, वहीं चंद्रमा पृथ्वी के इर्द गिर्द घूमता है। जब चंद्रमा घूमते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है और सूर्य की रोशनी को हम तक आने से रोकता है, तब उस खगोलीय स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।

सूर्य ग्रहण कितने तरह का होता है ?

1 पूर्ण सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य के बीच में आकर उसको पूरी तरह से ढक लेता है तो पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता है।

2 आंशिक सूर्य ग्रहण: जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आता है कि सूर्य उससे पूरी तरह से नहीं ढकता और सूर्य का सिर्फ कुछ हिस्सा ही ढकता है, तब इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं।

3 वलयाकार सूर्य ग्रहण: चन्द्रमा जब पृथ्वी के काफी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। ऐसे में सूर्य का सिर्फ मध्य भाग ढकता है और सूर्य कंगन की तरह नजर आता है। इसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।

इस बार सूर्य ग्रहण मेष राशि में

इस बार सूर्य ग्रहण मेष राशि में लगेगा। जिसकी वजह से कुछ राशि वालों पर इसका प्रभाव नकारात्मक है जबकि कुछ राशि वालों पर इसका प्रभाव सकारात्मक रहने वाला है। शनिवार के दिन ग्रहण लगने से इस बार शनिचरी अमावस्या का योग बन रहा है। सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल की रात्रि 12 बजकर 16 मिनट पर लगेगा जो 1 मई को सुबह 4 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगा।

इस सूर्य ग्रहण पर मेष राशि में सूर्य, चंद्रमा और राहु की युति से त्रिग्रही योग बन रहा है। जिसे बेहद दुर्लभ माना जा रहा है। सूर्य ग्रहण के दिन वट सावित्री और शनि जयंती, साथ-साथ अमावस्या भी है। श्रीहरि विष्णु के साथ-साथ शनिदेव और वट का पूजन जरूर करें।

30 अप्रैल को शनिवार और वैशाख की अमावस्या भी है। अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व रखता है। शनिवार होने के कारण इस अमावस्या को शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या कहते है। शनिश्चरी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने की परंपरा है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है। अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं, ताकि उनकी आत्मा तृप्त रहे। शनि आमवस्या पर शनि देव की पूजा करते हैं, जिससे साढ़ेसाती और ढैय्या में राहत मिले।

चंद्र राशि के अनुसार इन राशियों पर क्या रहेगा प्रभाव

मेष : यह सूर्य ग्रहण मेष राशि में लगेगा। इसलिए मेष राशि वाले लोंगों पर सबसे ज्यादा प्रभाव रहेगा। ग्रहण के दौरान यात्रा न करें तथा सजग और सावधान रहें। सूर्य बीते 14 अप्रैल 2022 से मेष राशि में ही विराजमान हैं। सूर्य इस राशि में 15 मई 2022 तक रहेंगे। मेष राशि में ही राहु बैठा हुआ है।

सूर्य इस राशि में राहु के साथ 15 तक रहेंगे, जब तक राहु और सूर्य की युति बनी रहेगी तब तक इन राशि वालों को सावधान रहने की जरूरत है। धन की हानि हो सकती है। मानसिक तनाव में वृद्धि होगी। 15 मई तक अपनी वाणी और स्वभाव पर विशेष ध्यान देना होगा। वाणी दोष के कारण आपके अपने आपसे दूरी बना सकते

हैं। अहंकार हो सकता है। जिससे मित्र भी शत्रु बन सकते हैं। विनम्र रहने का प्रयास करें। अनावश्यक विवादों से बचने का प्रयास करें। मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है साथ ही आप पर शत्रु भी हावी हो सकते हैं। ऐसे में आपको खासतौर पर सतर्क रहने की जरूरत है, नहीं तो आपको नुकसान हो सकता है। इसके अलावा जल्दबाजी करने से बचें।

Surya Grahan 2022

वृषभ: ये ग्रहण बहुत शुभ रहने वाला है। इस ग्रहण से आपका आर्थिक पक्ष मजबूत हो सकता है। करियर में सफलता मिल सकती है। साथ ही अधूरे काम बन सकते हैं। नए व्यवसायिक संबंध बन सकते हैं। इस समय आप व्यापार में नया निवेश कर सकते हैं। जिससे आपको भविष्य में फायदा हो सकता है। प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए अच्छा है और ऐसा करना इस दौरान आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

कर्क : कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा होता है। इस समय चंद्रमा मेष में राहु के साथ रहेंगे। यह स्थिति कर्क राशि वालों को मानसिक तनाव पैदा कर सकती है। वाहन चलाते समय सावधानी बरतनी होगी। इस दौरान मन खिन्न रहेगा। काम में बाधा आ सकती है। जिस कारण क्रोध की स्थिति बन सकती है। ऑफिस में सहयोगियों का पूर्ण सहयोग प्राप्त नहीं होगा। जिस कारण लक्ष्य को पाने में मुश्किल आ सकता है।

संतान की सेहत को लेकर चिंता रहेगी। अनावश्यक यात्रा करनी पड़ सकती है। आपके खर्चे बढ़ेंगे। इसलिए इस दौरान धैर्य बनाकर रखें । साथ ही इस दौरान आपकी कार्यस्थल और समाज में आपकी छवि अच्छी हो सकती है। कार्यस्थल पर आपकी कार्य करने की शैली में निखार आ सकता है । नई जॉब का प्रस्ताव आ सकता है। अपनी योग्यताओं को साबित करने के लिए आगे बढ़ कर किसी भी नई चुनौती का समाधान करने की ज़िम्मेदारी ले सकते हैं।

वृश्चिक: इन्हें धैर्य पूर्वक रहना चाहिए। शत्रु सक्रिय हो सकते हैं। इस दौरान अपनी योजनाओं को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी होगी। अनुशासित जीवन शैली को अपनाने की जरूरत है। आलस के कारण काम पेंडिंग हो सकते हैं। बॉस से संबंध खराब हो सकते हैं। प्रतिद्वंदी कार्यों में बाधा पहुंचाने का काम करेगें। इस समय सावधान रहने की आवश्यकता है। धन की बचत करें, कर्ज लेने की स्थिति से बचें। इस दौरान मान हानि का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए कम बोलना या बहुत सोच समझकर बोलना आपके लिए अच्छा रहेगा। वहीं विवादों से सावधान रहें। शत्रु नुकसान पहुंचा सकते हैं।

धनु : आपकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार होगा। सरकारी नौकरी में कार्यरत लोगों में भी ये ग्रहण शुभ और फलदायक होगा। कारोबार में अच्छा मुनाफा हो सकता है। व्यापार में निवेश के लिए यह समय अनुकूल है। साथ ही अगर आपका व्यापार विदेश से जुड़ा हुआ है तो आपको अच्छा धनलाभ हो सकता है। साथ ही अगर आपका धन कही अटका हुआ है तो आपको धन प्राप्त हो सकता है।

ग्रहण काल में क्या न करें ?

Surya Grahan 2022

यदि आपके संबंधी विदेश में हैं जहां दोनों ग्रहण लगेंगे,उन्हें आप यह सलाह दे सकते हैं ग्रहण काल में किसी भी नए कार्य का शुभारंभ न करें।सूतक के दौरान भोजन बनाना और भोजन करना वर्जित माना जाता है। देवी-देवताओं की प्रतिमा और तुलसी के पौधे को स्पर्श नहीं करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के दौरान फूल, पत्ते, लकड़ी आदि नहीं तोड़ने चाहिए।

इस दिन न बाल धोने चाहिए ना ही वस्त्र। ग्रहण के समय सोना, शौच, खाना, पीना, किसी भी तरह के वस्तु की खरीदारी से बचना चाहिए। सूर्यग्रहण में बाल अथवा दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए, ना ही बालों अथवा हाथों में मेहंदी लगवानी चाहिए।सर्यग्रहण के दरम्यान उधार लेन-देन से बचना चाहिए। उधार लेने से दरिद्रता आती है और उधार देने से लक्ष्मी नाराज होती हैं।

क्या करें ?

ग्रहण काल के समय भगवान का ध्यान करना चाहिए।भगवान के ध्यान के साथ ही मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।ग्रहण समाप्ति के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। सूतक काल के पहले तैयार भोजन को खाने से पहले उसमें तुलसी के पत्ते डालकर शुद्ध करें।सूर्य ग्रहण लगने और खत्म होने के दौरान सूर्य मन्त्र ‘ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ’ के अलावा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का धीमे-धीमे मगर शुद्ध जाप करें।संयम के साथ जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। ग्रहण काल के दौरान कमाया गया पुण्य अक्षय होता है। इसका पुण्य प्रताप अवश्य प्राप्त होता है।

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