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मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़
अक्षय तृतीया का पर्व 3 मई, मंगलवार को पड़ रहा है जिस दिन अक्सर सोना खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है और लक्ष्मी जी की पूजा के अलावा विभिन्न वस्तुओं का दान किया जाता है ।
प्रत्येक वर्ष बैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को विशेष मुहूर्त होता है, इसे अक्षय तृतीया के नाम से भी जानते हैं। हिंदू धर्म में इस दिन कोई भी नया कार्य शुरू करने का विशेष मुहूर्त होता है । इस दिन रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग की वजह से मंगल रोहिणी योग बन रहा है।
इस दिन चार बड़े राशि उच्च स्थिति में होंगे, अक्षय तृतीया के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ, शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में, शनि अपनी स्वराशि कुभं में जबकि बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन में मोजूद होंगे। इस तरह के संयोग 50 वर्षों के बाद देखने को मिलेंगे जिसकी वजह से इस बार की अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया का दिन सालभर की शुभ तिथियों की श्रेणी में आता है।
इस दिन त्रेता युग का आरंभ भी माना जाता है। कहते हैं इस दिन किए गए कार्यों से अक्षयों फलों की प्राप्ति होती है। ‘न क्षय इति अक्षय’, यानि जिसका कभी क्षय न हो, वह अक्षय है। लिहाजा इस दिन जो भी शुभ कार्य, पूजा पाठ या दान-पुण्य आदि किया जाता है, वो सब अक्षय हो जाता है।
यदि आप इस दिन लक्ष्मी जी का पूजन करना चाहें तो इस अवधि में बहुत ही साधारण विधि से कर सकते हैं। महिलाएं परिवार की सुख समृद्धि व धनागमन हेतु व्रत रख सकती हैं।इस दिन लक्ष्मी जी की आराधना का सर्वाधिक महत्व है । प्रातः स्नान करके पुरुष सफेद तथा महिलाएं लाल वस्त्र पहन कर, लक्ष्मी जी के चित्र या मूर्ति के आगे बैठ कर इन मंत्रों में से किसी एक या सभी की एक एक माला कर सकते हैं। कमल गटटे या स्फटिक की ही माला का प्रयोग करें।
1.ओम् श्रीं श्रियै नमः !!
2. हृीं ऐश्वर्य श्रीं धन धान्याधिपत्यै ऐं पूर्णत्व लक्ष्मी सिद्धयै नमः!!
3. ओम् नमो ह्ीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं चिन्ता दूरं करोति स्वाहा !!
पूजन के बाद खीर का प्रसाद अवश्य बांटना चाहिये।
अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 39 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक।
तृतीया तिथि प्रारम्भ- 3 मई 2021 सुबह 5 बजकर 38 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त: 4 मई सुबह 7 बजकर 59 मिनट तक
सोना खरीदने का मुहूर्त
3 मई सुबह 5 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 4 मई सुबह 5 बजकर 38 मिनट तक।
* यदि अक्षय तृतीया पर पर बैंक में नया खाता खेाला जाए या पुराने खाते में धन जमा कराया जाए तो धन में निरंतर वृद्धि होती है।
* इस दिन किया गया कोई भी नया निवेश कई गुणा बढ़ जाता है। आप नई बीमा पालिसी, म्युचुअल फंड, सोने आदि में पहले दिन धन लगा सकते हैं। इसके अलावा बैंक या घर के लाकर में, लाल या पीले कपड़े में 12 साबुत बादाम बांध कर रख दिए जाएं तो भी आभूषणों में वृद्धि होती रहती है और उसमें कभी कमी नहीं आती।
* यह काफी समय से प्रमाणित प्रयोग हैं जो भारतीय परंपरा, आस्था एवं ज्योतिष का एक भाग हैं। इस दिन लोन एकाउंट में पैसा लौटाएं और किसी को उधार न दें न किसी से लें। फिर देखिए आपके यहां बरकत कैसे नहीं होती !
ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर हम भौतिक संसाधन जुटाएं तो वो हमारे जीवन में हमेशा बने रहते हैं। ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन नया काम शुरू करने, भौतिक संसाधनों जैसे बर्तन, सोना, चांदी जैसी अन्य कीमती वस्तुओं की खरीदारी करना शुभ माना गया है। साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन खरीदा गया सोना आने वाली पीढ़ियों के साथ बढ़ता चला जाता है।अक्षय तृतीया के दिन सूरज की किरणों में काफी तेज होता है। सूर्य का संबंध सोने के चलते इस दिन सोना खरीदना शक्ति और ताकत का प्रतीक माना जाता है। लेकिन इस दिन अगर आप सोना नहीं खरीद पाते हैं तो दान-पुण्य करके जीवन में आने परेशानियां दूर कर सकते हैं।
इस बार ग्रहों के संयोग को देखते हुए अक्षय तृतीया के अवसर पर जल से भरा हुआ घड़ा, शक्कर, गुड़, बर्फी, सफेद वस्त्र, नमक, शरबत, चावल, चांदी का दान करना बेहद शुभ फलदायी रहेगा। अक्षय तृतीया के दिन धार्मिक पुस्तकों और फलों का दान भी पुण्य की वृद्धि करने वाला होगा।
यह अबूझ मुहूर्त सगाई एवं विवाह के लिए सर्वोत्तम है। इसके अतिरिक्त दीर्घकालीन निवेश जैसे प्लाट, फलैट, स्थाई प्रापर्टी, बीमा पालिसी,शेयर, म्युचल फंड, आभूषण, सोना, चांदी, वाहन क्रय, नौकरी के लिए आवेदन, नया व्यवसाय आरंभ, मकान की नींव आदि, भवन क्रय के लिए एग्रीमेंट, विदेश यात्रा, नया व्यापार आरंभ आदि के लिए चिरंजीवी दिन है।
शुक्र ग्रह, सुख सुविधा एवं ऐश्वर्य का प्रतीक है। इस दिन गृहपयोगी सामान भी खरीदा जा सकता है। विलासिता , श्रृंगार, भवन के नवीनीकरण से संबंधित वस्तुएं घर में लाना शुभ माना गया है। वाहन का क्रय बिना कोई मुहूर्त देखे अक्षय तृतीया पर किया जा सकता है।
थाली, हकीक- 9, गोमती चक्र-9, लग्न मंडप सुपारी-9, लघु नारियल-9, गुलाब या कमल के फूल-3, चावल- सवा किलो, लाल या सफेद कपड़ा- सवा मीटर, मोतीशंख, भोज पत्र या चांदी पर खुदा हुआ अक्षय यंत्र, रौली, मौली, स्फटिक की माला, दक्षिणा, वस्त्र।
विधि: प्रातः काल स्नान आदि करके पूजा स्थान पर कंबल या दरी बिछा का पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठें । थाली में रोली से अष्ट दल बना के मोतीशंख मध्य में रखें। यह मंत्र 11 या 108 बार पढ़े।
ओम श्रीं ही्ं दारिद्रये विनाशिनये धन धान्य समृद्धि देही देही नमः ।।
सवा किलो साबुत चावल शंख पर चढ़ाते जाएं। कुछ चावल शंख में भरें, लाल कपड़े में बांधें। शेष चावल की खीर बना के बांट दें। शंख को तिजोरी या पूजा स्थान पर रखें।
1.ओम हृ्ीं क्रीं श्रीं श्रिये नमः
2.मम लक्ष्मी मामृनीतीर्ण कुरु कुरु सम्पदः वृद्धिकरोति नमः
3.ओम् श्रीं श्रियेै नमः
4.हृीं ऐश्वर्य श्रीं धन धान्याधिपत्यै
5.ऐं पूर्णत्व लक्ष्मी सिद्धयै नमः !!
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