Live
Search
Home > धर्म > Annapurna Mata Vrat Katha: कैसे हुआ था मां अन्नपूर्णा के अवतरण? पढ़ें यहां बेहद रोचक कहानी

Annapurna Mata Vrat Katha: कैसे हुआ था मां अन्नपूर्णा के अवतरण? पढ़ें यहां बेहद रोचक कहानी

Annapurna Jayanti 2025 Katha: आज 4 दिसंबर के दिन अन्नपूर्णा जयंती हैं. अन्नपूर्णा भोजन की देवी को कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं मां अन्नपूर्णा के अवतरण की कहानी बेहद रोचक है. चलिए जानते हैं यहां आज अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा की कहानी (Annapurna Jayanti Story).

Written By: Chhaya Sharma
Last Updated: December 4, 2025 14:33:30 IST

Annapurna Mata Vrat Katha: हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. धार्मिर मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ही मां अन्नपूर्णा की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए आज के दिन को मां अन्नपूर्णा अवतरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन क्या है जानते हैं कि कैसे हुई थी मां अन्नपूर्णा की उत्पत्ति? अगर नहीं तो चलिए पढ़ते हैं यहां रोचक कथा

 कैसे हुई देवी अन्नपूर्णा की उत्पत्ति

हिंदू धर्म में अन्न की देवी अन्नपूर्णा को जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक माना जाता है और उन्हें की कृपा से पूरे संसार को भोजन प्राप्त होता है. कहा जाता है कि देवी अन्नपूर्णा की पूजा करने से कभी भी घर में अन्न-धन की कमी नहीं रहती है. मान्यताओं के अनुसार देवी अन्नपूर्णा, मां पार्वती का ही एक स्वरूप, लेकिन मां पार्वती का यह स्वरूप कैसे उत्पन्न हुआ  इसके पीछे बेहद रोचक पौराणिक कथा है, चलिए पढ़ते हैं यहां

अन्नपूर्णा माता व्रत कथा (Annapurna Mata Vrat Katha in Hindi)

धार्मिक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव माता पार्वती  बात कर रहे हैं और उन्होंने बातचीत में कहा कि संपूर्ण संसार केवल माया है. भोजन-अन्न सबकुछ माया है. इसलिए ही किसी भी व्यक्ति के लिए शरीर और अन्न कोई खास महत्व नहीं रखता है. लेकिन माता पार्वती जी भगवान शिव जी की इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हुईं और उन्हें शिव जी के इस कथन में अन्न का अपमान महसूस हुआ. इस वजह से माता पार्वती निराश हो गईं और उन्होंने सारा अन्न गायब कर दिया, जिसके बाद पूरे संसार में अन्न का संकट आ गया. धरती पर सभी लोगों को अन्न की कमी होने लगी और सभी लोगो भूख से व्याकुल होने लगे. धरती पर सभी ओर हाहाकार मचने लगा. इसके बाद माता पार्वती के देवी अन्नपूर्णा का अवतार लिया. उनका अवतार के एक हाथ में अक्षय पात्र था, जिसमें कभी समाप्त न होने वाला भोजन था. धरती पर रहने वाले लोगों की रक्षा के लिए शिव देवी अन्नपूर्णा के पास पहुंचे और उनसे भोजन मांगा. साथ ही शिव जी ने यह स्वीकार भी किया कि, शरीर और अन्न दोनों का अस्तित्व संसार में महत्व रखता है. इसके बाद देवी अन्नपूर्णा ने शिव जी को अपने अक्षय पात्र से अन्न दान किया और उसे शिव जी ने पृथ्वीवासियों को बांट दिया. इस प्रकार पृथ्वी से अन्न के अकाल की समस्या दूर हुई. 

क्यों जरूरी है मां अन्नपूर्णा की पूजा

इस दिन से हर मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मां अन्नपूर्णा देवी की पूजा की जाती है, जो ऐसा करता है उसे जीवन में कभी भी पैसों और अन्न की कमी नहीं होती है. अन्नपूर्णा की पूजा करने वाले व्यक्ति के घर में सुख-शांति हमेशा  बनी रहती है और वो व्यक्ति कभी भी खाली पेट नहीं सोता है.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. India News इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

MORE NEWS

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?