होम / पांडव पुत्रों की पत्नी होने के बावजूद भी महाभारत के इस योद्धा को पसंद करती थी द्रौपदी…कृष्ण के आगे बोला था सच?

पांडव पुत्रों की पत्नी होने के बावजूद भी महाभारत के इस योद्धा को पसंद करती थी द्रौपदी…कृष्ण के आगे बोला था सच?

Prachi Jain • LAST UPDATED : September 12, 2024, 9:48 pm IST

Draupadi Loved Karna: कई वर्षों बाद, द्रौपदी ने यह स्वीकार किया कि वह कर्ण से प्रेम करती थीं, लेकिन जाति और समाज के बंधनों ने उन्हें कभी इस प्रेम को स्वीकारने का अवसर नहीं दिया।

India News (इंडिया न्यूज़), Draupadi Loved Karna: महाभारत की कहानी में द्रौपदी एक अद्भुत और अद्वितीय नारी शक्ति का प्रतीक हैं। उनके जीवन में कई संघर्ष और चुनौतियाँ थीं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण था उनके पाँच पतियों के साथ उनके संबंध और उनकी भक्ति। यह कहानी उन जटिल भावनाओं को उजागर करती है जो द्रौपदी के मन में छिपी थीं, विशेष रूप से कर्ण के प्रति उनके गहरे प्रेम के बारे में।

द्रौपदी का विशेष प्रेम

महाभारत में द्रौपदी को पाँच पांडवों की पत्नी के रूप में चित्रित किया गया है, लेकिन अर्जुन के प्रति उनका विशेष लगाव था। अर्जुन ही वह योद्धा थे, जिन्होंने स्वयंबर में द्रौपदी का हाथ जीता और उन्हें अपनी माँ कुंती के पास ले गए। द्रौपदी के मन में अर्जुन के लिए गहरा प्रेम था, लेकिन उनके जीवन की एक और छिपी सच्चाई थी जो उन्होंने कभी खुलकर नहीं बताई थी—वह सच्चाई कर्ण के प्रति उनके प्रेम से जुड़ी थी।

कौन थीं युधिष्ठिर की वो पत्नी जिसने वनवास आने पर छोड़ दिया था पति का साथ…क्यों कहीं गईं रहस्यमयी

कर्ण, जो सूर्यपुत्र थे, लेकिन समाज द्वारा सूतपुत्र कहे जाने के कारण, द्रौपदी के स्वयंबर में अपमानित हुए थे। जब द्रौपदी ने कर्ण को स्वयंबर में हिस्सा लेने से मना कर दिया, तब उनके हृदय में एक आंतरिक द्वंद्व छिड़ गया था। वर्षों बाद, द्रौपदी ने यह स्वीकार किया कि वह कर्ण से प्रेम करती थीं, लेकिन जाति और समाज के बंधनों ने उन्हें कभी इस प्रेम को स्वीकारने का अवसर नहीं दिया।

कृष्ण द्वारा द्रौपदी का सच उजागर करना

महाभारत की एक घटना में, द्रौपदी और पांडव वनवास के दौरान एक पेड़ से फल तोड़ लेते हैं, जो एक साधु की 12 वर्षों की तपस्या का फल था। भगवान श्रीकृष्ण उस समय वहाँ प्रकट होते हैं और बताते हैं कि यदि यह फल साधु ने नहीं खाया, तो वह उन्हें श्राप देगा। इस संकट का समाधान खोजने के लिए श्रीकृष्ण ने सुझाव दिया कि हर कोई अपना सच बताए। तभी वह फल फिर से पेड़ पर लग जाएगा।

मरने के बाद भी इस मणि ने अर्जुन को दिया था जीवनदान, खुद पत्नी ही बनी थी मृत्यु का कारण?

सभी पांडवों ने अपनी सच्चाई बताई, और अंत में द्रौपदी की बारी आई। द्रौपदी ने अपने हृदय की गहराइयों में छुपी उस सच्चाई को उजागर किया जो किसी को नहीं पता थी। उन्होंने स्वीकार किया कि वह पाँच पांडवों के अलावा एक छठे पुरुष से भी प्रेम करती हैं, और वह पुरुष कर्ण था। उन्होंने कहा कि कर्ण से विवाह न कर पाने का उन्हें जीवनभर पछतावा रहा। यदि उन्होंने कर्ण से विवाह किया होता, तो शायद उन्हें इतने दुख और संघर्षों का सामना नहीं करना पड़ता।

द्रौपदी का पश्चाताप

द्रौपदी का यह कबूलनामा सुनकर पाँचों पांडव हैरान रह गए, लेकिन उनके इस सच ने ही साधु के फल को वापस टहनी पर लगा दिया। द्रौपदी का यह पश्चाताप समाज की उस कठोरता को दर्शाता है, जिसने जाति के बंधनों के कारण उन्हें उनके सच्चे प्रेम से दूर कर दिया। यह घटना महाभारत के उन अनकहे पहलुओं में से एक है, जो आज भी प्रेम, समाज, और व्यक्तिगत भावनाओं के संघर्ष को दर्शाती है।

इस भाग्यशाली मूलांक पर पैदा हुए लोगों पर रहती हैं गणपति बप्पा की विशेष कृपा, कही आपकी जन्म तारीख भी तो ये नहीं?

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रेम सच्चा होता है, लेकिन समाज के नियम और बंधन कई बार हमारे जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों को प्रभावित कर देते हैं। द्रौपदी और कर्ण का यह अधूरा प्रेम महाभारत के एक गहरे और संवेदनशील पहलू को उजागर करता है, जो आज भी हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या सही है और क्या गलत।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT