छठ पूजा 2024 का संपूर्ण कार्यक्रम और महत्व
1. नहाय-खाय (5 नवंबर 2024, मंगलवार)
छठ पूजा का आरंभ नहाय-खाय से होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 5 नवंबर को है। इस दिन व्रती (व्रत रखने वाले) पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं और इसके बाद भोजन ग्रहण करते हैं। इस भोजन को नहाय-खाय कहा जाता है, जिसमें चावल, लौकी, कद्दू और चने की दाल का उपयोग होता है। इसे शुद्धता और नियमों का पालन करते हुए बनाया जाता है।
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नहाय-खाय के नियम:
- साफ-सफाई: इस दिन व्रती अपने घर की अच्छी तरह से सफाई करते हैं।
- पवित्र स्नान: किसी पवित्र नदी, तालाब या जलाशय में स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- खाना स्वयं बनाएं: व्रती को अपने भोजन को स्वयं बनाना चाहिए और भोजन की पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- तामसिक भोजन वर्जित: इस दिन घर में प्याज, लहसुन और मांसाहार से बचें, क्योंकि यह तामसिक भोजन माना जाता है।
2. खरना (6 नवंबर 2024, बुधवार)
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम के समय शुद्धता से तैयार प्रसाद का सेवन करते हैं, जिसमें गुड़ की खीर, रोटी और अन्य शुद्ध व्यंजन होते हैं। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही वे अगले 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ करते हैं।
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3. संध्या सूर्य अर्घ्य (7 नवंबर 2024, गुरुवार)
छठ पूजा के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य का दिन कहा जाता है। इस दिन व्रती संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रती अपने परिवार के साथ जलाशय या नदी किनारे जाकर सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
4. प्रातः काल सूर्य अर्घ्य और व्रत का पारण (8 नवंबर 2024, शुक्रवार)
छठ पूजा के चौथे और अंतिम दिन व्रती सूर्योदय के समय एक बार फिर से अर्घ्य अर्पित करते हैं। इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन भी पूजा में विशेष शुद्धता का ध्यान रखा जाता है, और घर में प्रसाद बांटने के साथ-साथ पूजा का समापन होता है।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का पर्व है। मान्यता है कि जो लोग सच्चे मन से छठ का व्रत रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह पर्व अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतानों की लंबी आयु के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है।
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इस पावन पर्व के दौरान दिए गए नियमों का पालन और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो सके।
Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।