संबंधित खबरें
एक तवायफ के लिए जब इन 2 कट्टर पंडितों ने बदल दिया था अपना धर्म…आशिक बन कबूला था इस्लाम, जानें नाम?
दैवीय शक्तियों का आशीर्वाद किन्नरों को दिया दान… इस अशुभ ग्रह को भी शांत कर देगा जो इस प्रकार किया ये कार्य?
12 साल बाद इस राशि में बनने जा रहा है महाशक्तिशाली गजलक्ष्मी राजयोग, 2025 शुरू होते ही इन 3 राशियों को छप्पर फाड़ देंगी पैसा
आपकी नाभि का ऐसा आकार चुटकियों में बता देगा आपके सारे राज…जानें कबतक मिलेगी सफलता और कैसे खुलेंगे धन के द्वार?
शरीर के शुभ अंगों पर इन तिलों को कैसे करें एक्टिवेट? मिलेगी इतनी दौलत संभाल नहीं पाएंगे!
क्या आपकी हथेलियों में भी बनता है आधा चांद…किस्मत का अजूबा है ऐसा होना, जानें क्या है मायने?
India News (इंडिया न्यूज), Chhath Puja 2024: भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित छठ पर्व का चौथा और आखिरी दिन उषा अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इसके बाद दूसरे दिन खरना होता है। तीसरा दिन संध्या अर्घ्य और चौथा दिन उषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है। यह पूजा भगवान सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है।
उषा अर्घ्य छठ पूजा का आखिरी और अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी तट पर पहुंचती हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसके बाद वे बच्चों की सुरक्षा और परिवार की सुख-शांति के लिए भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं। इस पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध, जल और प्रसाद से व्रत तोड़ते हैं।
छठ पर्व से जुड़ी कथा के अनुसार कहा जाता है कि राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी, जिसके कारण वे बहुत परेशान और दुखी रहते थे। एक बार महर्षि कश्यप ने राजा से संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा। महाराज जी की आज्ञा मानकर राजा ने यज्ञ किया जिसके बाद राजा को पुत्र की प्राप्ति भी हुई, लेकिन दुर्भाग्य से बालक मृत पैदा हुआ। इस बात से राजा-रानी और उनके परिवार के अन्य सदस्य और भी अधिक दुखी हो गए। तभी आकाश से माता षष्ठी प्रकट हुईं।
राजा ने उनसे प्रार्थना की और तब देवी षष्ठी ने उन्हें अपना परिचय देते हुए कहा, ‘मैं ब्रह्मा की पुत्र षष्ठी देवी हूं। मैं इस संसार के सभी बालकों की रक्षा करती हूं और जो निःसंतान हैं, उन्हें संतान सुख प्रदान करती हूं।’ इसके बाद देवी ने राजा के मृत बालक को आशीर्वाद दिया और उसके ऊपर अपना हाथ फिराया, जिससे वह तुरंत जीवित हो गया। यह देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने देवी षष्ठी की पूजा शुरू कर दी। कहा जाता है कि इसके बाद से ही छठी माता की पूजा का अनुष्ठान शुरू हुआ।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.