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Basant Panchami 2026 Date & Muhurat: इस दिन होगी मां सरस्वती की पूजा, जानें सही समय और बेहद खास उपाय

Basant Panchami 2026 Date: ज्ञान, बुद्धि और विवेक पाने के लिए देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. हर साल, माघ महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन, देवी सरस्वती के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं. तो, आइए जानते हैं कि 2026 में बसंत पंचमी कब मनाई जाएगी और सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है.

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: December 24, 2025 19:42:48 IST

Basant Panchami 2026 Date: सनातन धर्म में, देवी सरस्वती को ज्ञान, भक्ति, विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है. हर साल, बसंत पंचमी माघ महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाई जाती है. इस दिन, ज्ञान की देवी, देवी सरस्वती के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि देवी सरस्वती की पूजा करने से अज्ञानता दूर होती है. इसलिए, यह दिन छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. चूंकि देवी सरस्वती को संगीत की देवी भी माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने से व्यक्ति संगीत में निपुण हो सकता है. बसंत पंचमी को बच्चों की पढ़ाई शुरू करने के लिए भी एक विशेष दिन माना जाता है. यही कारण है कि लोग इस दिन अपने बच्चों के लिए विद्यारंभ (पढ़ाई की शुरुआत) समारोह करते हैं. तो, आइए जानते हैं कि इस साल बसंत पंचमी, या सरस्वती पूजा कब मनाई जाएगी.

बसंत पंचमी 2026 की तारीख और शुभ मुहूर्त

दृक पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष का पांचवां दिन 22 जनवरी 2026 को सुबह 2:28 बजे शुरू होगा. यह तारीख 23 जनवरी को सुबह 1:46 बजे समाप्त होगी. इसलिए, उदय तिथि (सूर्योदय) सिद्धांत के अनुसार, बसंत पंचमी, या सरस्वती पूजा, 23 जनवरी 2026 को मनाई जाएगी.

सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त (Saraswati Puja Muhurat)

बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7:12 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक रहेगा. इसका मतलब है कि देवी सरस्वती की पूजा और विद्यारंभ समारोह करने के लिए कुल 5 घंटे और 20 मिनट का समय उपलब्ध होगा. इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष रूप से लाभकारी परिणाम मिलेंगे.

सरस्वती पूजा मंत्र (Saraswati Puja Mantra)

या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता. 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः.

ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम्कारी 
वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा.

ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः.

ॐ वागदैव्यै च विद्महे 
कामराजाय धीमहि. 
तन्नो देवी प्रचोदयात्‌. 

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सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि 

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता.
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता.
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं.
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्.
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
 

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