संबंधित खबरें
क्या आपको भी सोते समय आते है शारीरिक संबंध बनाने के सपने? क्या होता है ऐसे सपनो का मतलब, जानें सब कुछ
पिता से ज्यादा पति के लिए भाग्य का भंडार होती है ऐसी लड़कियां, पसंद करने जाए लड़की तो देख ले उसकी उंगली पर ये एक साइन?
इन लोगों को भूलकर भी नहीं पहनना चाहिए रुद्राक्ष, शिव जी का ऐसा प्रकोप दिखाता है कि…?
जब कर्ण की ओर आग-बबूला हो गदा लेकर दौड़े थे हनुमान, फिर किसने किया था बजरंग बली का गुस्सा शांत और बचाई थी कर्ण की जान?
इस देवता की मृत्यु के बाद क्यों उनके शरीर की राख को 8 भागों में कर दिया गया था विभाजित?
जब भगवान राम अपने भक्त पर ब्रह्मास्त्र चलाने को हो गए थे मजबूर, क्या सच में हनुमान को सुनाई थी मौत की सज़ा?
संत राजिन्दर सिंह महाराज
Best Message on Baisakhi : बैसाखी के महीने में प्रकृति के लिहाज़ से पेड़-पौधें में नई कोपलें निकलनी शुरू हो जाती हैं, इनमें एक नई ज़िंदगी की शुरूआत होती है तो हमें भी इससे कुछ नया सबक लेना चाहिए जिससे कि हमारे जीवन में भी नई कोपलें फूटें ताकि हमारी नई ज़िंदगी का आरंभ हो और हमारे दिल से सभी भेदभाव मिट जायें। हरेक समाज में बैसाखी का महीना कई तरह से मनाया जाता है।
सन् 1699 में बैसाखी के दिन ही दशम गुरू साहिब, गुरू गोबिन्द सिंह जी महाराज ने खालसा पंथ (सिख पंथ) की शुरूआत की थी। इस दिन दशम गुरू साहिब ने पाँच प्यारों को चुना। बौद्ध लोगों के लिए भी यह दिन बड़ा मुबारक है। इसी दिन महात्मा बुद्ध का भी जन्म हुआ था। बैसाखी के दिन ही उन्हें आत्म-ज्ञान भी हुआ और इसी दिन उनका निर्वाण भी हुआ।
महापुरूष जब-जब भी इस दुनिया में आते हैं, वे एक ही बात को बार-बार पेश करते हें, वह क्या है? कि मानुष जन्म बड़े भागों से मिलता है, जिसमें हम अपने निजघर वापिस जा सकते हैं। परमात्मा महाचेतना का सागर है और हमारी आत्मा उसकी एक बूंद है। परमात्मा प्रेम है, हमारी आत्मा उसका अंश होने के नाते प्रेम है, इसमें कुदरती तौर से प्रभु से मिलने का भाव है, इसका गुण है अपने प्रीतम से जुड़ना। बैसाख धीरन क्यों वाढियां जिना प्रेम बिछोह।
‘‘बैसाख धीरन क्यों“ बैसाख का महीना आ गया है, फसल कटी पड़ी है तुम्हारी, प्रभु से दूर पड़े हो, तुम्हें धीरज कैसे आ सकता है उसके बगै़र। तुम उससे कटे पड़े हो, कैसे तुम जीवन गुज़ार रहे हो? कैसे भूल गये हो तुम?
हर साजन पुरख विसार के लगी माया धोह।
परमात्मा से दूर हो गये हम, उसे भूल गये और माया हाथ धोकर हमारे पीछे लग गई, माया नाम है भूल का। यह भूल कहाँ से शुरू हुई? यह दर्द भरी कहानी है। फसल तो बाहर कटी पड़ी है। महात्मा देखकर कहते हैं, तुम उस प्रभु से कटे पड़े हो तुम उसकी अंश हो। तुम मालिक को भूल गए और यही सब खराबियों की जड़ है।
प्रभु को भूल कर अपना जन्म बरबाद कर रहे हो। ‘‘प्रभु बिना अवर न कोय।’’ प्रभु के बिना तुम्हारी आत्मा का कोई साथी नहीं। पुत्र, स्त्री, बच्चे ये सब प्रारब्ध कर्मों के अनुसार प्रभु ने जोड़े हैं। खुशी से लेना-देना निभाओ और अपने घर जाओ। वह परमात्मा जो हमारी आत्मा का संगी है और साथी है, वह तुम्हारे साथ जायेगा। हमें यह मानुष जन्म मिला है प्रभु को पाने के लिए।
आत्मा चेतन स्वरूप है, जब तक वह महाचेतन प्रभु से नहीं मिलेगी उसको कभी संतुष्टि नहीं होगी। मन कभी काबू नहीं होगा जब तक नाम से, परिपूर्ण परमात्मा से नहीं मिलेगा। ‘‘नाम मिलिये मन तृप्तिये’’। भगवान कृष्ण के जीवन में आता है कि उन्होंने यमुना नदी में छलांग मारी। नीचे हजार मुँह वाला सांप था। उन्हांने बाँसुरी बजाते हुए उसका नथन किया। यह सांप कौन था? मन, जिसके हज़ार तरीके हैं, जहर चढ़ाने के। उसको जीतना है। ‘‘मन जीते जग जीत’’। हमारे और उस प्रभु की प्राप्ति के बीच कोई रूकावट है तो वह मन ही है।
अगर तुम अपने दिल में प्रभु के पाने का पक्का इरादा रखते हो तो एक कदम अपने मन पर रखो अर्थात् इसे खड़ा करो, दूसरा कदम जो तुम उठाओगे, प्रभु की गली में पहुँच जाएगा। बैसाख का महीना तभी सफल होगा, जब नई जिंदगी का आरंभ होगा, तभी सफलता को पाओगे। जिसने पाया है, उसकी सोहबत मिले, कोई संत मिल जाए तो काम बन जाए। जिनको पूरा गुरु मिल गया, वह मालिक की दरगाह में शोभा पाएगा और तुम्हारे भीतर प्रेम भक्ति जाग उठेगी। दुनिया की, माया का जहर तुम पर असर नहीं करेगा और तुम्हें सुखों का समुद्र मिल जाएगा, तुम संसार सागर से तर जाओगे। वह महीना, वही दिन, वही महूर्त अच्छा है, जिसमें हमने उस प्रभु को पा लिया। जो मालिक की नजर पा गया, संतों की कृपा से उसका जीवन सफल है।
Also Read : Dharam : परमात्मा की कृपा से मूक हो जाते वाचाल
Connect With Us: Twitter Facebook
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.