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India News (इंडिया न्यूज़), Bhai Dooj 2023 Shubh Muhurt, दिल्ली: आज यानी की 15 नवंबर को भाई दूज का त्यौहार मनाया जा रहा है। इसके साथ ही बता दे की कार्तिक पंचपर्व का समापन भी हो जाएगा। वही इस पर्व की महत्वता के बारे में बताएं तो भाई दूज के दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक करती है। हाथों में कलावा बंधती है और भाई की लंबी उम्र के साथ सुख-समृद्धि की कामना करती है। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन भाई बहन से तिलक करवाता है तो उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती।
(Bhai Dooj 2023 Shubh Muhurt)
इस साल भाई दूज के शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो भाई को तिलक करने के दो शुभ मुहूर्त निकल गए हैं। पहले शुभ मुहूर्त 6:44 से सुबह के 9:24 तक है। जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10:40 से दोपहर 12:00 तक का है। इसके बाद राहुकाल शुरू हो जाएगा।
भाई दूज को मनाने की विधि के बारे में बात करें तो भाई प्रातः काल चंद्रमा के दर्शन करें और शुद्ध जल से स्नान करें, भाई दूज के मौके पर बहन अपने भाई के लिए तिलक और आरती की थाली सजाएं, जिसके अंदर कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि जैसी सामग्रियां हो, तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनाएं चावल के चौक पर भाई को बैठाया जाए और शुभ मुहूर्त में बहने उसका तिलक करें, तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दे और उसकी आरती उतारे तिलक और आरती के बाद भाई अपने बहनों को उपहार और उनकी रक्षा का वचन भी उन्हें दे सकता है।
भाई दूज की मान्यताओं के बारे में बात की जाए तो हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यमुना ने इस दिन अपने भाई यमराज की लंबी आयु के लिए व्रत किया था और उन्हें अन्नकूट का भोजन खिलाया था, कथा के अनुसार यह देवता ने अपनी बहन को इस दिन दर्शन दिए थे, यम की बहन यमुना अपने भाई से मिलने के लिए अत्यधिक व्याकुल थी, अपने भाई के दर्शन कर यमुना बेहद प्रसन्न हुई जमुना ने प्रसन्न होकर अपने भाई को बहुत आभार व्यक्त किया।
इसके बाद ही यमराज ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि इस दिन अगर भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उन्हें मुक्ति की प्राप्ति होगी। इस कारण से इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन साथ स्नान करने का बड़ा महत्व मानते हैं। इसके अलावा यमुना ने यह से एक वचन दिया था कि आज के दिन हर भाई अपनी बहन के घर जाना चाहिए तब भी से भाई दूज बनाने की प्रथा शुरू हुई।
इसके साथ ही बता दे की भाई दूज यानी यम द्वितीया पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए बहनें व्रत करती हैं। भाई दूज के दिन यमराज के साथ उनकी सचिव चित्रगुप्त को भी पूजा जाता है।
आप भाई दूज की शाम के समय घर के बाहर बाई और मिट्टी के कलश में जल भर कर रखें। इसके ऊपर सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं उनसे प्रार्थना करें कि घर में रहने वाले सभी लोग दुर्ग आयु और स्वस्थ रहे अगले दिन सुबह कलश का जल घर के प्रत्येक कोने में छिड़कदें।
इसके अलावा भाई दूज पर प्रात काल पूर्व दिशा में चौक बनाएं इस पर चित्रगुप्त भगवान की प्रतिमा की स्थापना करें। उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं पुष्प और मिष्ठान भी अर्पित करें। उन्हें कलश भी अर्पित करें इसके बाद एक सफेद कागज पर हल्दी लगाकर उसे पर ‘श्री गणेशाय नमः’ लिखे, फिर ‘ओम चित्रगुप्ताएं नमः’ 11 बार लिखे भगवान चित्रकूट से विद्या, बुद्धि और लेखन का वरदान मिलता है। इसके बाद अर्पित किए हुए कलश को सुरक्षित रखें और इसका प्रयोग पूरे साल करें।
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