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कब मनाया जाएगा Bhai Dooj? अभी कर लें नोट डेट और शुभ मुहूर्त

Bhai Dooj 2025: भाई बहन के पवित्र बंधन का त्योहार भाई दूज इस साल कब मानया जाएगा और शुभ मुहूर्त क्या है? आइए जानें.

Written By: shristi S
Last Updated: October 21, 2025 14:44:49 IST

Bhai dooj 2025 Shubh Muhurat: दिवाली के खुशियों भरे पर्व के समापन के साथ ही आता है भाई-बहन के अटूट रिश्ते का त्योहार भाई दूज. यह त्योहार प्रेम, स्नेह और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है. हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला यह पावन पर्व 2025 में 23 अक्टूबर, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा.

क्या है भाई दूज का धार्मिक महत्व?

भाई दूज हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो दिवाली के पांचवें और अंतिम दिन मनाया जाता है. इसे विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे भाऊ बीज, भाई द्वितीया, भात्र द्वितीया और यम द्वितीया. इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं. बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और जीवनभर उनकी रक्षा करने का वचन दोहराते हैं.

भाई दूज 2025 का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर 2025, बुधवार शाम 8:16 बजे और समाप्ति 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार रात 10:46 बजे होगी.  भाई दूज तिलक का शुभ मुहूर्त 23 अक्टूबर को दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक रहेगा. यह कुल 2 घंटे 15 मिनट का उत्तम समय माना गया है, जब बहनें अपने भाइयों का तिलक कर सकती हैं.

भाई दूज पूजन विधि (Bhai Dooj Pujan Vidhi)

  • सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें.
  • पूजा की थाली में रोली, अक्षत, दीपक, नारियल, पान, सुपारी और मिठाई रखें.
  • भगवान गणेश की पूजा करने के बाद घर के उत्तर-पूर्व दिशा में चौक बनाएं.
  • लकड़ी के पटरे पर भाई को बैठाकर तिलक करें, आरती उतारें और उन्हें मिठाई खिलाएं.
  • अंत में, बहन अपने हाथों से बना भोजन भाई को कराए, यह अत्यंत शुभ माना जाता है.

भाई दूज की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद भाई दूज के दिन द्वारका लौटकर अपनी बहन सुभद्रा से भेंट की थी. सुभद्रा ने अपने भाई का स्वागत दीपक, फूल और मिठाइयों से किया, उनका तिलक किया और उनकी लंबी आयु की प्रार्थना की. तभी से यह परंपरा आरंभ हुई कि बहन अपने भाई का तिलक कर उसकी दीर्घायु की कामना करती है.

भाई दूज का महत्व

भाई दूज रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और विश्वास का प्रतीक है. कहा जाता है कि इस दिन विधिवत पूजा करने से भाइयों के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और बहनों के जीवन में सुख-शांति आती है. भारत के विभिन्न राज्यों में इस पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है —

  • महाराष्ट्र में: भाऊ बीज
  • पश्चिम बंगाल में: भाई फोटा
  • नेपाल में: भाई तिहार
  • उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश में: भाई दूज

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