(इंडिया न्यूज़,Birth of children in Pitru Paksha, auspicious or inauspicious): इस साल 10 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो गए हैं। पितृ पक्ष अभी चल ही रहा है, इन 15 दिनों में माना जाता है कि हमारे पितृ धरती पर हमें देखने, हमें आशीर्वाद देने हमारे पास आते हैं। इस दौरान पितरों को पिंडदान और तर्पण करने का विधान है। पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार ये माह पूर्ण रूप से पितरों को ही समर्पित होता है।किन्तु क्या हो यदि इस माह में किसी बच्चे का जन्म हो जाए?
जनमानस में धारणा है कि पितृ पक्ष में जन्म लेने वाले बच्चे शुभ नहीं होते, उनका जन्म घर परिवार के लिए भिन्न प्रकार की विघ्न और बाधाएं लाता है। उनका जन्म मललब परिवार पर पितृ दोष का साया।लेकिन ऐसा नहीं है। ये भ्रम न खुद रखें न प्रसारित करें। जन्म मरण विधाता के हाथ में हैं, इस पर किसी का वश नहीं है।
पितृ पक्ष में जन्में बच्चों के साथ भेदभाव न करें। ये आपके पितृ यानी आपके पूर्वजों का ही पुनर्जन्म होता है। वो पूर्वज जिनकी इच्छाएं अधूरी रह गईं हैं या जो आकस्मिक दुनिया से विदा हो गये हैं वो अपनी इच्छा पूर्ति के लिए आपके घर, कुल में दुबारा जन्म लेते हैं। इसलिए ध्यान रखें ऐसे बच्चों को कभी भी जूठा अन्न का निवाला न खिलाएं और न ही इनके मन पर किसी तरह का दवाब डालें।
अगर आपने ध्यान दिया होगा कि पितृ पक्ष में जन्में बच्चों की शक्ल आपके किसी पूर्वज से मिलती होगी और इन पर पितरों का विशेष आशीर्वाद रहता है। ये होनहार और बुद्धिमान बच्चे होते हैं, अपनी उम्र से आगे सोचने वाले होते हैं। इनका अपने परिवार के प्रति विशेष लगाव होता है। पितृ पक्ष में जन्में बच्चों के बारे में कहा जाता है कि आपके घर की अवस्था भले ही हीन हो,कैसी भी हो लेकिन इस बच्चे के जन्म के साथ ही आपके कुल और परिवार की उन्नति तय होती है। पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष में जन्में बच्चे आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं। इनका सम्मान करें।इनसे भेदभाव अपने पूर्वजों को कुपित करना है।
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