Budh Pradosh Vrat 2025:
Budh Pradosh Vrat 2025: हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. जो भगवान शिव और पार्वती जी को समर्पित होता है. शास्त्रों में प्रदोष व्रत का बेहद महत्व बताया गया है. कहा जाता है, जो व्यक्ति इस दिन पूरे विधि विधान से शिव-पार्वती की पूजा करता और व्रत रखता है, उसका वैवाहिक जीवन खुशनुमा हो जाता है और अविवाहितों लोगों को मन चाहा जीवनसाथी मिलता है. लेकिन अब साल का अंतिम महीना चल रहा है और इस साल में आने वाला है आज आखिरी प्रदोष व्रत, जो बेहद खास हैं, क्योंकि आज प्रदोष व्रत पर कई शुभ योग बन रहे हैं, आइये जानते हैं आज प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त, सही पूजा विधि और शिव मंत्र
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 16 दिसंबर देर रात 11 बजकर 58 मिनट पर शुरू हुई है और यह कल 18 दिसंबर दोपहर 02:33 तक रहेगी. इसलिए आज 17 दिसंबर बुधवार के दिन प्रदोष व्रत किया जाएगा. सप्ताह के जिस दिन प्रदोष व्रत होता है, उसे उसी नाम से जाना जाता है. आज बुधवार है इसलिए इस बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा.
पूजा का समय- बुध प्रदोष व्रत पर पूजा का समय शाम 05 बजकर 27 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक रहेगा
पंचांग के अनुसार, आज 17 दिसंबर बुधवार के दिन और बुध प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का बेहद शुभ संयोग बन रहा है. इसके अलावा आज सुकर्मा और धृति योग रहेगा. इन शुभ योगों में शिव की पूजा करने और शिव मंत्र उचारण करने से आपको बेहद लाभ होता है. आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और आपके जीवन में तरक्की के रास्ते खुल सकते हैं.
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी स्नान कर साफ वस्त्र पहनकर. मंदिर की सफाई करनी चाहिए और गंगाजल से पूजा स्थान को शुद्ध करना चाहिए. फिर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. पूरे दिन शिव का ध्यान करना चाहिए और शंत मंन से शिव मंत्रो का जाप करना चाहिए. फिर मंदिर जाकर शिवलिंग पर चंदन, अक्षत, फूल, धूप–दीप, नैवेद्य अर्पित करें, साथ ही बेलपत्र, गंगाजल, दही, दूध, शहद आदि से अभिषेक करें. इस दौरान “ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का जप करें. इसके बाद प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती पूजा और आरती करें. पूजा संपन्न होने पर भगवान शिव और पार्वती जी को मिठे का भोग लगाएं और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें.
पंचाक्षरी- ॐ नमः शिवाय
महामृत्युंजय मंत्र – “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
शिव गायत्री मंत्र- “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।”
स्तुति मंत्र- कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा वसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि॥”
रुद्र मंत्र- ॐ नमो भगवते रुद्राय
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव…
एकानन चतुरानन पंचानन राजे,
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव…
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे,
त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव…
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी,
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ॐ जय शिव…
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव…
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता,
जगकर्ता जगभर्ता जग संहारकर्ता॥ ॐ जय शिव…
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका,
प्रणवाक्षर में शोभित यह त्रिवेद का टीका॥ ॐ जय शिव…
शिव ओंकारा शिव ओंकारा हर ऊंकारा,
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव…
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव…
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. India News इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.
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