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नरेश भारद्वाज । कैथल
Chaitra Navratri 2022 नवरात्र में कुछ ही दिन बचे हैं। इस बार मां अंबे घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। हिंदू शास्त्र में मां जगदंबे के हर वाहन का अलग अलग महत्व बताया गया है। साल में दो बार आने वाले नवरात्र में हर बार मां नए वाहन पर धरती पर आगमन करती हैं और नए वाहन पर ही धरती से देवलोक को प्रस्थान लेती है। इन वाहनों का देश दुनिया और धरती पर बड़ा असर पड़ता है।
साल में कुल 4 नवरात्रि आती हैं, जिनकी शुरुआत चैत्र नवरात्रि से होती है। इन 9 दिनों के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। घट स्थापना की जाती है और आखिर में कन्या पूजन किया जाता है। मां दुर्गा को सुख, समृद्धि और धन की देवी माना जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि का महापर्व 2 अप्रैल 2022 से शुरू होगा और 11 अप्रैल 2022 तक चलेगा।
हिंदू धर्म में यूं तो देवी मां को हमेशा शेर पर ही सवार देखा गया है लेकिन नवरात्र के मौके पर मां अलग अलग वाहन पर सवार होकर धरती पर आती हैं। मां के वाहन हैं – डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य और हाथी।
मां के वाहनों का महत्व देवी भागवत के एक श्लोक के जरिए बताया गया है। –
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता ।।
अर्थात जब मां हाथी पर सवार होकर धरती पर आती हैं तो ज्यादा पानी बरसता है, घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो युद्ध के हालात पैदा होते हैं, नौका पर सवार होकर आती हैं तो सब अच्छा होता है और शुभ फलदायी होता है। अगर मां डोली में बैठकर आती हैं तो महामारी, संहार का अंदेशा होता है। (Chaitra Navratri 2022 Tithi)
मां अलग वाहनों के जरिए धरती से प्रस्थान करती हैं। इस श्लोक के जरिए समझाया गया है –
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
इस साल चैत्र घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल 2022, शनिवार की सुबह 06:22 बजे से 08:31 मिनट तक रहेगा। यानी कि कुल अवधि 02 घण्टे 09 मिनट की रहेगी. इसके अलावा घटस्थापना को अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से 12:57 बजे तक रहेगा। वहीं प्रतिपदा तिथि 1 अप्रैल 2022 को सुबह 11:53 बजे से शुरू होगी और 2 अप्रैल 2022 को सुबह 11:58 पर खत्म होगी। (Chaitra Navratri 2022 Date list)
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करके जिस जगह पर कलस्थापना करना है, वहां गंगाजल छिड़कें। फिर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इस पर कलावा बांधें। कलश में चारों ओर अशोक के पत्ते लगाएं।
फिर कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें और एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें। फिर इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आहवाहन करें। इसके बाद दीप जलाकर कलश की पूजा करें। ध्यान रखें कि कलश सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही हो। कलश स्टील सा किसी अन्य अशुद्ध धातु का नहीं होना चाहिए। (Chaitra Navratri 2022 Ashtami date)
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