Champa Sashti 2025: चंपा षष्ठी का त्योहार मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. यह मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों कर्नाटक और महाराष्ट्र में मनाया जाता है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह त्योहार भगवान खंडोबा की राक्षस मल्ला और मणि पर जीत का प्रतीक है. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है.
चंपा षष्ठी 2025 भगवान शिव के अवतार भगवान खंडोबा को समर्पित छह दिन का एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है. इस साल, भक्त 26 नवंबर, 2025 को चंपा षष्ठी मनाएंगे.
चंपा षष्ठी की तारीख और समय (Champa Sashti 2025 Date)
- चंपा षष्ठी की तारीख: 26 नवंबर, 2025, बुधवार
- षष्ठी तिथि शुरू: 25 नवंबर, 2025, रात 10:56 बजे
- षष्ठी तिथि खत्म: 27 नवंबर, 2025, रात 12:01 बजे
पूजा का शुभ समय (Champa Sashti 2025 Subh Muhrat)
- मुहूर्त: सुबह 4:18 AM से 5:11 AM तक
- सुबह शाम का मुहूर्त: सुबह 4:44 AM से 6:03 AM तक
- अमृत काल: दोपहर 2:27 PM से 4:10 AM तक
- रवि योग: सुबह 6:03 AM से 1:33 AM तक, 27 नवंबर, 2025
पूजा का तरीका
- सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद, साफ़ कपड़े पहनकर पूजा करने का संकल्प लिया जाता है.
- इस दिन, भगवान खंडोबा को हल्दी, कुमकुम, फूल, नारियल और प्रसाद चढ़ाया जाता है.
- भगवान खंडोबा का दूध, पानी और शहद से अभिषेक किया जाता है.
- उन्हें फूलों और बिल्वपत्रों से सजाया जाता है.
- “ॐ मार्तण्डाय मल्लाहरी नमो नमः” मंत्र का जाप किया जाता है.
- ग्रहों के दोष और नेगेटिविटी को दूर करने के लिए नौ तेल के दीपक जलाए जाते हैं.
- भक्त भगवान खंडोबा को लाल गुलाब और गुड़ और बाजरे से बनी मिठाई चढ़ाते हैं.
- इस पवित्र दिन जरूरतमंदों को बैंगन और बाजरा दान करना बहुत शुभ माना जाता है.
चंपा षष्ठी का महत्व (Champa Sashti 2025)
चंपा षष्ठी का त्योहार भगवान को समर्पित है खंडोबा, सूर्य देव और भगवान विष्णु. भगवान शिव को समर्पित, इस त्योहार पर पारंपरिक रूप से चंपा के फूल भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि ये फूल भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं और वे इस दिन इन्हें चढ़ाने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ज़मीन पर सोने से तन और मन दोनों शुद्ध होते हैं और पुण्य मिलता है.
भगवान शिव का एक उग्र रूप
भगवान खंडोबा को शिव का एक उग्र और रक्षक रूप माना जाता है. उन्हें मार्तंड भैरव, मल्हारी मार्तंड, मल्लारी और खंडेराई जैसे नामों से भी जाना जाता है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, वे एक शक्तिशाली योद्धा देवता हैं, खासकर किसानों, पशुपालकों और ग्रामीण समुदायों के संरक्षक देवता हैं. उनका सबसे प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के जेजुरी गांव में है, जिसे “गोल्डन जेजुरी” भी कहा जाता है. खंडोबा जयंती के मौके पर, यहां भक्त हल्दी बरसाकर एक अनोखे तरीके से जश्न मनाते हैं. इस दिन, खंडोबा की बारात ढोल, झांझ और एक बड़े जुलूस के साथ निकाली जाती है.
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