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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी क्षमताओं और विद्वत्ता के बल को जरिए इतिहास की धारा को बदल दिया। चाणक्य ने सभी विषयों पर अध्ययन किया है। शायद ही कोई विषय हो जिस पर उन्होंने अध्ययन न किया हो। आचार्य चाणक्य ने मानव कल्याण के लिए हर बिंदू पर बड़े ध्यान से गौर किया है। चाणक्य ने कहा है कि सुख और दुख दोनों जीवन रूपी इस सफर के साथी हैं। जो कि मनुष्य जीवन में समय-समय पर हमेशा आते-जाते रहते हैं। मगर चाणक्य के अनुसार एक ऐसी चीज है जो कि व्यक्ति के दुख की वजह बनती है। चाणक्य ने कहा है कि अगर इस पर काबू पा लिया तो आपसे खुशियां कभी भी मुंह नहीं मोड़ेगी। तो आइए आज जानते हैं कि किस कारण मनुष्य जीवन में दुख आते हैं।
कहा जाता है कि कर्म ही पूजा है जिसका अर्थ होता है कि कर्म करने वाला हर जगह सम्मान पाता है। ठीक वैसे ही बुरे कर्म वाला हमेशा दुख के पहाड़ से घिर रहता है। चाणक्य के अनुसार, मनुष्य के कर्म ही उसके सुख और दुख की वजह बनते हैं। वर्तमान के साथ-साथ व्यक्ति को उसके पूर्व जन्म का फल भी मिलता है। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि अगर किसी का अच्छा नहीं कर सकते हैं तो किसी का बुरा भी मत करो।
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दुख और सुख स्थायी नहीं होते हैं। मगर मनुष्य ज्यादातर दुख और तकलीफों के साये में घिरा रहता है। जो कि उसके कर्मों का परिणाम होता है। मनुष्य को उसके कर्म का फल देर-सवेरे ही सही मगर इसी जन्म में मिलता है। मनुष्य अक्सर सुख का समय आते ही अपने दुख की घड़ी भूल जाता है। जिसके बाद उसे बुरे-भले और छोटे-बड़े का अंतर समझ नहीं आता है। सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक स्तर पर मनुष्य कई गलतियां कर बैठता है। यही उसके दुख की वजह बनता है। चाणक्य ने कहा है कि अपने कर्मों से ही मनुष्य अपने दुख को आमंत्रित करता है।
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