India News(इंडिया न्यूज़), Chhath Puja 2023, दिल्ली: इस साल छठ पर्व की शुरुआत 17 नवंबर शुक्रवार के दिन से हो गई है। ऐसे में आज 18 नवंबर को खरना का दिन है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही छठ का व्रत शुरू किया जाता है। इसके बाद अगले 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखा जाता है। जैसे कि सभी को पता है की छठ के दौरान कई नियमों का पालन करना पड़ता है। इनमें से एक नियम बंद कमरे में खरना करना भी है।
क्या है खरना का महत्व
छठ पर्व पर नहाए खाए के बाद खरना का विशेष महत्व होता है। खरना के दिन व्रत कर रही महिला सबसे पहले नई मिट्टी के चूल्हे पर गुड और चावल की खीर बनती है। इसके बाद वह खीर का भूख छठी मैया को लगती है और इसी खीर को व्रत करने वाली महिलाएं प्रसाद के रूप में खाती हैं। जिसके बाद से निर्जला उपवास शुरू हो जाता है।
छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। खरना में साधक के अतिरिक्त शुद्धता पर जोड़ दिया जाता है और साथ ही साथ यह भी माना जाता है कि खरना के साथ छठी मैया साधक के घर में भी प्रवेश करती है।
क्या है खरना का मुहूर्त
आज खन्ना के मुहूर्त के बारे में बताएं तो छठ पूजा के दौरान सूर्योदय और सूर्यास्त का समय बहुत ही जरूरी माना जाता है। ऐसे में खरना के दिन सूर्योदय सुबह 6:46 पर होगा और सूर्यास्त 5:26 पर सूर्योदय पर इसका समापन होगा।
इस वजह से बंद कमरे में होती है खरना
माना जाता है कि खरना के दौरान छठ व्रत कर रही साधक के व्रत में किसी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिए और ना ही किसी प्रकार का शोर होना चाहिए यह कारण है कि खरना को बंद कमरे में करने के परंपरा है।
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