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45 दिन और…, इस साल कब है छठ महापर्व? जानिए नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य देने का समय

Raunak Kumar • LAST UPDATED : September 23, 2024, 9:25 am IST

Chhath Puja 2024: इस साल कब है छठ महापर्व?

India News (इंडिया न्यूज), Chhath Puja 2024: भारत में त्योहारों का मौसम आ रहा है। सबसे पहले दशहरा, फिर दिवाली और अंत में महापर्व छठ। उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाके और बिहार में छठ पूजा को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से छठ पूजा शुरू होती है। वहीं यह महापर्व 4 दिनों तक चलती है। दरअसल, इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। इसे हिंदू धर्म के सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। बता दें कि इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन होता है। यह पर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि जगहों पर मनाया जाता है।

कब है छठ पूजा?

बता दें कि, हिंदू पंचांग के अनुसार छठ पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि से शुरू होती है। षष्ठी तिथि 7 नवंबर को सुबह 12:41 बजे से शुरू होकर 8 नवंबर को सुबह 12:35 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर छठ पूजा 7 नवंबर को है। इस दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 5 नवंबर को पहला दिन नहाय खाय, 6 नवंबर को दूसरा दिन खरना, 7 नवंबर को तीसरा दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य, 8 नवंबर को अंतिम और चौथा दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

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क्या है महत्व?

छठ महापर्व की शुरुआत पहले दिन नहाय खाय से होती है। इस खास मौके पर पवित्र नदी में स्नान करने का अधिक महत्व है। इस दिन महिलाएं दिन में एक बार भोजन करती हैं।

महापर्व के दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखती हैं और महिलाएं पानी भी ग्रहण नहीं करती हैं।

अगले दिन यानी तीसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

महापर्व के आखिरी दिन महिलाएं उगते सूर्य को जल अर्पित करती हैं और शुभ मुहूर्त में व्रत खोलती हैं।

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किन बातों का रखते हैं ध्यान

छठ पूजा के दौरान गंदे हाथों से बर्तन या पूजा सामग्री को नहीं छूना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से व्रती का व्रत टूट जाता है।

पर्व के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।

इसके साथ ही पूजा में पहले से इस्तेमाल किए गए बर्तनों का इस्तेमाल करना वर्जित है।

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