462
Kharna Rituals and Precautions: छठ पूजा का दूसरा दिन, जिसे खरना कहा जाता है, व्रतियों के लिए विशेष महत्व रखता है. यह दिन आत्मिक और शारीरिक शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. खरना का दिन पूरे दिन का उपवास और शाम को देवी-देवताओं तथा छठी मैया को भोग अर्पित करना शामिल करता है. इस दिन व्रतियों को शुद्धता, पवित्रता और सावधानी का विशेष ध्यान रखना होता है ताकि पूजा सही तरीके से संपन्न हो.
खरना के दिन ध्यान रखने योग्य बातें
- साफ-सफाई और शुद्धता- खरना के दिन घर की अच्छी तरह सफाई करना आवश्यक है. पूजा स्थल, रसोई और प्रसाद बनाने की जगह पूरी तरह स्वच्छ होनी चाहिए.
- सावधानी से छूना- पूजा से जुड़ी वस्तुओं को साफ हाथों से ही छूना चाहिए.अगर गलती से कोई समान गंदे हाथों से छू लिया जाए, तो उसे पूजा में इस्तेमाल न करें.
- प्रसाद का पवित्रता बनाए रखना- प्रसाद बनाते समय केवल सेंधा नमक का प्रयोग करें. किसी अन्य प्रकार के नमक या अशुद्ध सामग्री का प्रयोग वर्जित है.
- भोजन का समय- प्रसाद बन जाने के बाद पहले छठी मैया को भोग अर्पित करें. केवल उसके बाद व्रती और परिवारजन ग्रहण करें.
- आत्मिक शुद्धता- उपवास और पूजा के दौरान मन, विचार और कर्म से पवित्र रहने का प्रयास करे. यह दिन न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक शुद्धता का प्रतीक है.
खरना पूजन की विधि
- सुबह की तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें. घर और पूजा स्थल की सफाई करें.
- पूजा और ध्यान: घर की सफाई और स्नान के बाद मन, वचन और कर्म से शुद्ध होकर पूजा पाठ करें.
- शाम का स्नान और प्रसाद तैयारी: शाम को पुनः स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें. मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ियों से आग जलाकर प्रसाद बनाएं.
- भोग अर्पण: प्रसाद तैयार होने के बाद सबसे पहले छठी मैया को भोग अर्पित करें.
- ध्यान और ग्रहण: पूजा संपन्न होने के बाद व्रती कुछ समय वहीं बैठकर माता का ध्यान करें और प्रसाद ग्रहण करें.