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Chhath Puja 2025: नहाय खाय पर इन 7 नियमों का करें पालन, छठी मइया होंगी अति प्रसन्न

Nahay Khay Rules: आज से छठ पूजा का महपर्व नहाय खाय है, ऐसे में जो लोग छठ पूजा कर रहें है वह यह 7 नियम छठी मइया को खुश करने के लिए जरूर करें.

Written By: shristi S
Last Updated: October 25, 2025 09:35:21 IST

Chhath Puja Nahay Khay Rituals: भारत के सबसे पवित्र और अनुशासित पर्वों में से एक छठ महापर्व आज से आरंभ हो गया है. यह पर्व न केवल आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह जीवन में पवित्रता, संयम और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का संदेश भी देता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर यह चार दिनों तक चलने वाला पर्व ‘नहाय-खाय’ (Nahay Khay) के साथ आरंभ होता है और उषा अर्घ्य के साथ संपन्न होता है. पहले दिन यानी नहाय-खाय का विशेष महत्व होता है. इस दिन व्रती अपनी शुद्धता और भक्ति से छठी मइया की आराधना की शुरुआत करते हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन नियमों का सही ढंग से पालन किया जाए, तो छठी मइया प्रसन्न होकर परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान देती हैं. आइए जानते हैं, नहाय-खाय के दिन किन नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि आपकी पूजा पूर्ण और फलदायी हो —

1. घर और रसोई की शुद्ध सफाई करें

नहाय-खाय के दिन सुबह-सुबह घर की विशेष रूप से सफाई की जाती है. खासकर रसोई और पूजा स्थल को पवित्र रखना जरूरी है, क्योंकि यहीं से पूरे पर्व की पवित्रता शुरू होती है.

 2. प्रातःकाल स्नान कर शरीर को करें शुद्ध

व्रती प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं. यह न केवल बाहरी शुद्धता का प्रतीक है बल्कि मन और आत्मा को भी निर्मल रखने का संकल्प होता है.

 3. सूर्य देव को अर्घ्य देना न भूलें

स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना अनिवार्य माना गया है. यह छठ पूजा की आत्मा है, क्योंकि यह पर्व सूर्योपासना का ही प्रतीक है. सूर्य देव को जल चढ़ाते समय मन में धन्यवाद और कृतज्ञता का भाव रखें.

4. भोजन में रखें सात्विकता

इस दिन का भोजन पूर्ण रूप से सात्विक होना चाहिए. प्याज, लहसुन, मांस, मछली, अंडा जैसे तामसिक पदार्थों का प्रयोग वर्जित है. परंपरागत रूप से कद्दू की सब्जी, लौकी, चने की दाल और भात का भोजन तैयार किया जाता है.

 5. पहले सूर्य देव को लगाएं भोग

भोजन तैयार होने के बाद सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है, उसके बाद व्रती भोजन ग्रहण करते हैं. यह परंपरा इस बात का प्रतीक है कि प्रकृति और देवताओं के प्रति आभार व्यक्त करना ही सच्ची पूजा है.

6. व्रती पहले भोजन करें

भोग लगाने के बाद सबसे पहले व्रती भोजन करते हैं, फिर परिवार के बाकी सदस्य प्रसाद के रूप में वही भोजन ग्रहण करते हैं. इससे घर में पवित्रता और सामूहिक भक्ति का भाव बना रहता है.

 7. मन, वचन और कर्म से रहें शुद्ध

नहाय-खाय के दिन केवल शरीर ही नहीं, बल्कि मन और वाणी की शुद्धता भी आवश्यक है. इस दिन व्रती को क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए.

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