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Chhath Puja 2025: संध्या अर्घ्य के समय भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, माना जाता है बड़ा अशुभ

Chhath Puja Sandhya Arghya 2025: छठ पूजा के तीसरे दिन यानी आज लोग डूबते सूर्य को अर्घ्य देगें, ऐसे में सावधानी बरतते हुए इन 5 चीजों को बिल्कूल भी न करें.

Written By: shristi S
Last Updated: October 27, 2025 12:07:08 IST

Chhath Puja 2025 Sandhya Arghya Dos and Don’ts: छठ पूजा, सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का वह पर्व है जो मानव जीवन में आत्म-नियंत्रण, स्वच्छता और सच्ची आस्था के उच्चतम आदर्शों को स्थापित करता है. यह पर्व न केवल शरीर की तपस्या का प्रतीक है, बल्कि मन की स्थिरता और आत्मा की निर्मलता का भी द्योतक है। चार दिवसीय इस महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य यानी आज सबसे अधिक पवित्र, महत्वपूर्ण और कठिन माना जाता है. इस दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जो कृतज्ञता और विनम्रता का भाव दर्शाता है.

संध्या अर्घ्य का शुभ समय और तैयारी

संध्या अर्घ्य के दिन का आरंभ व्रती के लिए गहन तपस्या के साथ होता है. खरना के बाद से व्रती पूर्ण निर्जला उपवास रखते हैं न अन्न, न जल. अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक यह व्रत जारी रहता है. शाम ढलने से पहले व्रती और उनके परिजन सभी पूजा सामग्री लेकर घाट या घर के आंगन में बनाए गए जलकुंड के पास पहुंचते हैं. चारों ओर दीपों की रोशनी, सूप में सजे हुए ठेकुआ, फल, गन्ना, और नारियल सब कुछ एक अलौकिक वातावरण तैयार करते हैं. व्रती पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं  महिलाएं प्रायः साड़ी में और पुरुष धोती-कुर्ते में. वातावरण में शंख-घंटियों की ध्वनि और “छठी मैया के गीतों” की मधुर लय गूंजती है.

 संध्या अर्घ्य की विधि

सूर्यास्त के समय व्रती सूप (बांस की बनी टोकरी) में पूजा सामग्री रखकर, जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं.

  • अर्घ्य का जल- दूध, गंगाजल, और पवित्र जल मिलाकर लोटे से अर्पित किया जाता है.
  • अर्घ्य देते समय मुद्रा- लोटा इस तरह पकड़ा जाता है कि बहती जलधारा के बीच से सूर्य की अंतिम किरणें दिखाई दें. यह दृश्य भक्ति, सौंदर्य और श्रद्धा का अद्भुत संगम होता है.
  • मंत्रोच्चार- “ॐ सूर्याय नमः” या पारंपरिक छठ गीतों का गान किया जाता है.
अर्घ्य के बाद, सूप में रखे दीपक को जलाकर जल में प्रवाहित किया जाता है या घाट के किनारे रखा जाता है.

संध्या अर्घ्य में क्या न करें (Don’ts)

छठ पूजा में शुद्धता सर्वोच्च मानी गई है। इसीलिए संध्या अर्घ्य के दिन कुछ कार्य वर्जित माने जाते हैं —

  • 1. व्रत तोड़ना या जल पीना- अर्घ्य से पहले जल या अन्न ग्रहण करना छठी मैया का अपमान माना जाता है.
  •  अशुद्ध हाथों से प्रसाद या सूप को छूना – जो व्यक्ति व्रत नहीं कर रहा, उसे हाथ धोए बिना पूजा सामग्री नहीं छूनी चाहिए.
  •  अपवित्र वस्त्र या चप्पल पहनना – प्रसाद बनाने या अर्घ्य के समय इनका उपयोग निषिद्ध है.
  • क्रोध या वाद-विवाद – व्रती को शांत, सात्विक और संयमित रहना चाहिए। क्रोध या अपशब्द व्रत के फल को नष्ट कर देते हैं.
  • घाट पर असावधानी – पवित्र वातावरण में ऊंची आवाज़, हंसी-मज़ाक या लापरवाही अनुचित मानी जाती है.

संध्या अर्घ्य के बाद की पूजा और प्रार्थना

अर्घ्य के पश्चात व्रती परिवारजनों के साथ छठी मैया की कथा सुनते हैं. आरती के समय व्रती छठी माता से संतान की दीर्घायु, परिवार की सुख-समृद्धि और रोग-मुक्त जीवन की कामना करते हैं. इस क्षण का आध्यात्मिक वातावरण इतना गहरा होता है कि हर व्यक्ति के भीतर श्रद्धा और शांति की लहर उठती है.

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