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अरे ये क्या, पैदा होते ही ब्रह्मा जी को मारने दौड़े असुर, जानिए फिर किस देवी की मदद से हुआ उनका वध

Lord Brahma Story: एक समय था जब धरती पर दो महाबली असुर थे, दोनों ब्रह्मा जी को मारने के लिए दौड़ पड़े. घबराकर ब्रह्मा जी ने एक देवी ने आह्वान किया और मायाजाल में दोनों को फंसा लिया. पूरी कथा जानने के लिए पढ़े पूरी खबर.

Written By: Pandit Shashishekhar Tripathi
Last Updated: September 23, 2025 12:51:21 IST

Lord Brahma Story: प्राचीन काल में दो महाबली असुर ऐसे थे, जो जन्म होते ही ब्रह्मा जी को मारने के लिए दौड़ पड़े फिर ब्रह्मा जी ने अपने बचाव में एक देवी का आह्वान किया और उन्होंने ऐसा मायाजाल रचा कि दोनों उसी में उलझ गए। इस बीच मौका मिलते ही जिन भगवान का इन दोनों की उत्पत्ति में अप्रत्यक्ष योगदान था, उन्हीं ने दोनों का वध किया।  

योगनिद्रा में लीन श्री विष्णु के कान के मैल से निकले दो असुर

इन दोनों महाबली असुरों का नाम था मधु और कैटभ, जिनकी उत्पत्ति में भगवान विष्णु का अप्रत्यक्ष योगदान था। दरअसल भगवान श्री विष्णु हरि तो शेष सैय्या पर योगनिद्रा में लीन थे। योगनिद्रा वास्तव में योग की वह अवस्था जो न जागने में है और न ही सोने में। श्री हरि जब योगनिद्रा में लीन थे तभी उनके कान से मैल बाहर आया और इसी मैल से दो विशालकाय असुरों मधु और कैटभ का जन्म हुआ। योग निद्रा में होने के कारण भगवान विष्णु को तो इसकी जानकारी भी नहीं हुई लेकिन ब्रह्मा जी इस दृश्य को देख कर अचरज में पड़ गए।  

ब्रह्मा जी ने देवी से किया निवेदन

विष्णु जी के नाभि कमल पर विराजमान ब्रह्मा जी ने देखा कि दोनों असुर उनकी तरफ ही आक्रमण करने आ रहे हैं और श्री हरि योगनिद्रा में सोए हुए हैं तो उन्होंने विष्णु जी को जगाने का उपाय खोजा। उन्होंने श्री हरि के नेत्रों में वास करने वाली योगमाया की स्तुति करते हुए कहा कि हे देवी, आप तो विश्व का पालन, धारण और संहार करने वाली अधीश्वरी तथा भगवान विष्णु की शक्ति हैं। उन्होंने याद दिलाया कि देवि, आपने ही मुझे, भगवान शंकर और विष्णु जी को शरीर धारण कराने के साथ उनके कार्य निर्धारित किए। इन दोनों असुरों को तत्काल अपने मोह में डाल कर जगदीश्वर श्री विष्णु को जगाकर उनके भीतर ऐसी बुद्धि उत्पन्न करें कि वे इन दोनों असुरों का संहार कर दें।   

इन देवी ने फैलाया अपना मोह जाल

मोह एक प्रकार का भ्रम है, जिसके गहरे गड्ढे में संसार में जीव जंतु सभी प्राणी गिरे रहते हैं। मार्कण्डेय पुराण के देवी महात्म्य में मार्कण्डेय ऋषि ने लिखा कि भगवती महामाया वास्तव में भगवान विष्णु की योग निद्रा का वह रूप से जिससे पूरा जगत मोहित हो रहा है। ब्रह्मा जी के आह्वान पर तमोगुणों की अधिष्ठात्री देवी महामाया विष्णु जी को जगाने और असुरों को मोह जाल में डालने के लिए ब्रह्मा जी के सामने तुरंत खड़ी हो गयीं। उन्होंने विष्णु जी को जगाया और दोनों असुरों के साथ पांच हजार सालों तक केवल बाहुयुद्ध किया। उनके युद्ध कौशल और देवी महामाया के प्रभाव से मोहित हो कर दोनों असुरों ने उनकी वीरता की प्रशंसा करते हुए श्री हरि से ही वर मांगने के लिए कहा।  

इस तरह हुआ दोनों असुरों का संहार

श्री हरि ने दोनों असुरों के ऐसा कहने पर जरा भी देरी न करते हुए कि उनसे वर मांगा कि तुम दोनों मेरे हाथों से तुरंत ही मर जाओ। अब महामाया के मोहजाल से मोहित हो चुके दोनों असुरों ने हर तरफ जल ही जल देखा तो भगवान से कहा कि जहां पृथ्वी जल में डूबी न हो और सूखा स्थान हो वहीं पर मेरा वध कर दें। इतना सुनते ही भगवान ने दोनों की गर्दन अपनी जांघ पर रखते हुए चक्र से सिर को धड़ से अलग कर दिया।

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