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कौन थीं युधिष्ठिर की वो पत्नी जिसने वनवास आने पर छोड़ दिया था पति का साथ…क्यों कहीं गईं रहस्यमयी

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : September 10, 2024, 8:01 pm IST
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कौन थीं युधिष्ठिर की वो पत्नी जिसने वनवास आने पर छोड़ दिया था पति का साथ…क्यों कहीं गईं रहस्यमयी

Yudhishthir’s Wife Devika: महाभारत के वनवास काल में देविका का कोई जिक्र नहीं मिलता। जब पांडवों को 14 वर्षों के वनवास पर जाना पड़ा, तो युधिष्ठिर ने देविका को हस्तिनापुर में अपनी मां कुंती के पास छोड़ दिया था।

India News (इंडिया न्यूज़), Yudhishthir’s Wife Devika: महाभारत जैसे विशाल महाकाव्य में कई ऐसे पात्र हैं, जिनका उल्लेख बहुत कम किया गया है, और उनमें से एक हैं युधिष्ठिर की पत्नी देविका। जबकि द्रौपदी को हम सभी पाँच पांडवों की पत्नी के रूप में जानते हैं, देविका युधिष्ठिर की एकमात्र व्यक्तिगत पत्नी थीं। उनकी भूमिका महाभारत में भले ही सीमित हो, लेकिन वह रहस्यमयी और महान गुणों वाली महिला थीं।

देविका का परिचय

देविका, सिवि साम्राज्य के राजा गोवासेन की बेटी थीं। उनका विवाह धर्मराज युधिष्ठिर से हुआ था। हालांकि, महाभारत में उनके विवाह का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता, और यह स्पष्ट नहीं है कि युधिष्ठिर और देविका का विवाह कब हुआ था। कुछ स्रोतों का दावा है कि यह विवाह युधिष्ठिर के युवराज बनने के बाद हुआ, जबकि अन्य इसे कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद की घटना बताते हैं।

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देविका और वनवास

महाभारत के वनवास काल में देविका का कोई जिक्र नहीं मिलता। जब पांडवों को 14 वर्षों के वनवास पर जाना पड़ा, तो युधिष्ठिर ने देविका को हस्तिनापुर में अपनी मां कुंती के पास छोड़ दिया था। वह वनवास के दौरान युधिष्ठिर के साथ नहीं गईं थीं, और इसी कारण महाकाव्य में उनकी उपस्थिति वनवास से पहले तक ही सीमित है।

देविका का पुत्र

देविका और युधिष्ठिर के एक पुत्र थे, जिनका नाम यौधेय था। वह एक वीर योद्धा थे, जिन्होंने महाभारत के युद्ध में हिस्सा लिया और युद्ध में मारे गए। यह भी ध्यान देने योग्य है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के सभी पुत्रों की मृत्यु हो चुकी थी, सिवाय उत्तरा के गर्भ में पल रहे परीक्षित के। विष्णु पुराण में युधिष्ठिर के पुत्र का नाम देवक और माता का नाम यौधेयी बताया गया है, जिससे देविका के जीवन के बारे में और रहस्य बढ़ता है।

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देविका और द्रौपदी के संबंध

देविका का द्रौपदी के साथ संबंध बहुत सौहार्दपूर्ण था। युधिष्ठिर ने दोनों के साथ समान व्यवहार किया और देविका को भी उतना ही स्नेह और आदर दिया, जितना उन्होंने द्रौपदी को दिया था। महाभारत में देविका का उल्लेख “रत्न” के रूप में किया गया है, जो उनके शुद्ध और पवित्र चरित्र को दर्शाता है। अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव ने देविका का सम्मान अपनी मां की तरह किया। वह एक सच्ची भक्त थीं और जब भी कोई समस्या आती, भगवान कृष्ण से प्रार्थना करती थीं।

महाभारत के बाद देविका का जीवन

महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने 36 वर्षों तक हस्तिनापुर पर शासन किया, और उसके बाद स्वर्गारोहण के लिए अपने भाइयों और पत्नियों के साथ हिमालय की ओर प्रस्थान किया। हालांकि, देविका के इस यात्रा में होने का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। कुछ स्रोतों का दावा है कि वह स्वर्गारोहण में प्रारंभ में ही गिरकर मृत्युलोक चली गईं, जबकि अन्य के अनुसार, वह इस यात्रा में शामिल ही नहीं थीं और उनकी मृत्यु बाद में हुई।

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देविका का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

देविका को भगवान यमराज की पत्नी माता उर्मिला का अवतार माना जाता है, और कलियुग की शुरुआत में उत्तर भारत के लोग देविका और द्रौपदी को अपने इष्ट देवता के रूप में पूजते थे। हालांकि, समय के साथ देविका के महान चरित्र को लोग भूलने लगे और वह महाभारत की सबसे रहस्यमयी महिलाओं में से एक बन गईं।

निष्कर्ष

देविका का व्यक्तित्व महाभारत में कम ही उभर कर सामने आता है, लेकिन उनके पवित्र चरित्र और महान गुणों के कारण उनका महत्व कभी भी कम नहीं होता। वह न केवल युधिष्ठिर की पत्नी थीं, बल्कि एक सच्ची धर्मपरायण और महान महिला थीं, जिनका जीवन महाभारत के पीछे छिपी कई कहानियों में से एक है। उनका प्रेम और समर्पण युधिष्ठिर और उनके परिवार के प्रति अद्वितीय था, और वह महाभारत के इतिहास में एक रहस्यमयी लेकिन सम्माननीय स्थान रखती हैं।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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