Diwali 2021 : दीवाली से पहले अचानक उल्लू की महत्ता बढ़ जाती है। उन्हें दीपावली के अवसर पर होने वाली पूजा और तंत्र मंत्र में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। दीपावली से पहले अचानक उल्लू का महत्व बढ़ जाता है। उन्हें दीपावली के अवसर पर होने वाली पूजा और तंत्र मंत्र में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
दिवाली के कुछ दिन पहले से ही अवैध पक्षी विक्रेता एक-एक उल्लू को ऊंची कीमतों पर बेचने लगते हैं। उनके दाम 10 से 15 हजार रुपए तक पहुंच जाते हैं। अगर उसका वजन ठीक है और रंग गहरा तो समझिए कीमत और ज्यादा भी हो सकती है। यूं भी दीपावली के समय उल्लू देखना बहुत शुभ माना जाता है। दीपावली का समय नजदीक है।
बस चंद रोज बाद दीपावली का त्योहार है। माना जाता है कि इस त्योहार पर काफी तंत्र-मंत्र की क्रियाएं भी होती हैं। इस त्योहार से ठीक पहले अवैध पक्षी बाजार में उल्लू अचानक दुर्लभ हो जाते हैं। इनके दाम तेजी से बढ़ जाते हैं। लोग उन्हें 10-15हजार की कीमत देकर भी खरीदने लगते हैं। दरअसल दीपावली की मान्यताओं से उल्लू बहुत गहरे तक जुड़ा है।
हिंदू मान्यताएं कहती हैं कि लक्ष्मी उल्लू की सवारी करती है। वहीं कहीं-कहीं इसका भी जिक्र मिलता है कि उलूकराज लक्ष्मी के सिर्फ साथ चलते है। सवारी तो वो हाथी की करती हैं। बहरहाल मान्यताएं चाहे जितनी अलग बातें कहें दीपावली से उल्लुओं का गहरा ताल्लुक जुड़ गया है।
माना जाता है कि दीपावली के रोज उल्लू की बलि देने से लक्ष्मीजी हमेशा के लिए घर में बस जाती हैं। उल्लुओं के धन-समृद्धि से सीधे संबंध या शगुन-अपशगुन को लेकर ढेरों किस्से-कहानियां ग्रीक और एशियन देशों में प्रचलित हैं। मुश्किल से मुश्किल हालातों में आखिरी समय तक सर्वाइव कर पाने वाला ये पक्षी अपनी इसी विशेषता के चलते पुराणों के अनुसार तंत्र साधना के लिए सबसे उत्तम माना गया है।
बड़ी-बड़ी आंखों वाला निरीह सा ये पक्षी हिंदू विश्वासों से सीधा जुड़ा हुआ है। तो इसकी बड़ी वजह उसकी विशेषताएं हैं। चूंकि ये निशाचर है, एकांतप्रिय है और दिनभर कानों को चुभने वाली आवाज निकालता है। इसलिए इसे अलक्ष्मी भी माना जाता है यानी लक्ष्मी की बड़ी बहन जो दुर्भाग्य की देवी हैं और उन्हीं के साथ जाती है। जिसके पूर्वजन्मों का हिसाब चुकाया जाना बाकी हो। एक मान्यता है कि लक्ष्मी का जन्म अमृत और उनकी बड़ी बहन अलक्ष्मी का जन्म हालाहल यानी विष से हुआ था।
दीपावली के साथ उल्लुओं के संबंध पर भी विभिन्न मान्यताएं हैं। पुराणों में इसका जिक्र मिलता है कि श्री लक्ष्मी विशालकाय सफेद उल्लू पर विराजती हैं। यही वजह है कि किसी भी बंगाली घर में जाएं वहां घर आए उल्लू को कभी भी उड़ाया नहीं जाता चाहे वो कितनी ही तीखी आवाज निकालता रहे। खासकर सफेद उल्लू को वहां खास मेहमान की तरह देखा जाता है। जिसका लक्ष्मी जी से सीधा ताल्लुक है।
तांत्रिक साधना के लिए बनी किताबों में उलूक तंत्र का जिक्र मिलता है। उसपर पर कई कहानियां है। जिनमें से खास प्रचलित कहानी के अनुसार एक बार हरिद्वार में राजा दक्ष ने यज्ञ किया था। इसमें उन्होंने भगवान शिव को नहीं बुलाया था। शिव की उपेक्षा पर भगवान विष्णु भी क्रोधित हुए और उन्होंने ब्राह्मणों को विद्याविहीन होने का शाप दे दिया। इससे नाराज भृगु ॠषि ने विष्णु की छाती पर पांव रख दिया। यह देखकर लक्ष्मी ने ब्राह्मणों को धन-धान्य से विमुख होने का शाप दे दिया।
वाइल्ड लाइफ एसओएस के आंकड़ों के अनुसार रॉक आउल या ईगल आउल की दिवाली के दौरान सबसे ज्यादा मांग रहती हैं। ऐसा माना जाता है कि इनमें तांत्रिक शक्तियां होती हैं और घर या व्यावसायिक संस्थान के भीतर इनकी बलि से सुख-समृद्धि हमेशा के लिए पैर तोड़कर वहीं ठहर जाती है। यही वजह है कि दिवाली के कुछ दिन पहले से ही अवैध पक्षी विक्रेता एक-एक उल्लू को 10-10 हजार में बेचते हैं। इस पक्षी के वजन उसके रंग और दूसरी विशेषताओं को देखकर दाम तय होता है।
यहां यह भी साफ कर दें कि भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 के तहत उल्लू संरक्षित पक्षियों के तहत आता है और उसे पकड़ने-बेचने पर तीन साल या उससे ज्यादा की सजा का नियम है। लेकिन दिवाली पर इस प्रावधान की जबर्दस्त अनदेखी होती है।
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