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Diwali 2025 : दीपोत्सव का पर्व अक्टूबर में 20 या 21 को, समझ लीजिए ज्योतिषीय गणना के अनुसार कब मनाना रहेगा सबसे अच्छा

Diwali 2025 Date: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपोत्सव मनाया जाता है और इस साल दीपावली कब है? इसे लेकर बड़ा कन्फ्यूजन है कि मुख्य पर्व 20 अक्टूबर को मनाना है या 21 को, तो चलिए जानते हैं यहां

Written By: Pandit Shashishekhar Tripathi
Last Updated: September 26, 2025 14:50:33 IST

Diwali 2025: इस वर्ष दीपावली पर्व को लेकर बड़ा कन्फ्यूजन है कि मुख्य पर्व 20 अक्टूबर को मनाना है या 21 को। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपोत्सव मनाया जाता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दिन में दोपहर बाद तीन बजकर 45 मिनट से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर को सायंकाल पांच बजकर 55 मिनट तक रहेगी। सामान्य नियमानुसार दीपावली का पर्व प्रदोष काल में व्याप्त अमावस्या को मनाया जाता है और शास्त्रों में वर्णित लेखों के अनुसार धन की देवी मां लक्ष्मी का आगमन निशीथ काल में मनाया जाता है जबकि महालक्ष्मी पूजन, दीपदान आदि कर्म का समय प्रदोष काल होता है। तो चलिए जानते हैं क्या कहना है Pandit Shashishekhar Tripathi का  

ज्योतिषीय गणना की परिस्थितियां

पहली स्थिति भारत के उन राज्यों और वहां के शहरों की  जहां 20 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल व्याप्त है और 21 अक्टूबर को सूर्यास्त से पहले ही समाप्त हो जाएगी। ऐसे स्थानों पर दीपावली पर्व 20 अक्टूबर को माना जा सकता है क्योंकि प्रदोष व्यापिनी अमावस्या 20 को ही है। दूसरी स्थिति में वो राज्य आते हैं अमावस्या 20 और 21 दोनों ही तारीखों में सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल भी है। धर्म सिंधु ग्रंथ के अनुसार सूर्योदय में व्याप्त होकर सूर्यास्त के बाद एक घटी अर्थात 24 मिनट या इससे अधिक अमावस्या हो तो कोई संदेह नहीं करना चाहिए इसलिए दीपपर्व 21 अक्टूबर को ही मान्य होगा। निर्णय सिंधु के अनुसार यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो अमावस्या दूसरे दिन होती है। 

इसलिए 21 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा पर्व

निर्णय सागर पंचांग ने दोनों ही परिस्थितियों का विश्लेषण करने के बाद धर्मसिंधु ग्रंथ का आधार लेते हुए बताया कि 21 अक्टूबर को ही दीपोत्सव मनाना सबसे अच्छा रहेगा। धर्मसिंधु के पुरुषार्थ चिंतामणि में लिखा है कि, यदि पहले दिन ही प्रदोष व्यापिनी अमावस्या हो किंतु दूसरे दिन अमावस्या साढ़े तीन प्रहर से अधिक एवं प्रतिपदा वृद्धि गामिनी हो तो तो पहले दिन की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को छोड़ कर दूसरे दिन की अमावस्या ही लेनी चाहिए। इस नियम के अनुसार दूसरे दिन अर्थात 21 अक्टूबर को अमावस्या साढ़े तीन प्रहर से अधिक है और प्रतिपदा वृद्धिगामिनी है इसलिए चतुर्दशी तिथि वाले दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को छोड़ कर अगले दिन अमावस्या मंगलवार 21 अक्टूबर को ही पूरे देश में एक साथ मनाई जाएगी।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. India News इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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