Diwali 2025: दीपावली का पर्व धन, समृद्धि और प्रकाश का प्रतीक है. इस दिन घर-घर में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. आमतौर पर माना जाता है कि लक्ष्मी जी के पति भगवान विष्णु हैं, फिर भी दीपावली के दिन उनके साथ गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है? इसके पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टियों से गहरा अर्थ छिपा है.
गणेश जी की पूजा का महत्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धि के प्रदाता कहा गया है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनके पूजन से होती है ताकि कार्य बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक संपन्न हो सके. यही कारण है कि दीपावली पर भी सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जब तक गणेश जी की आराधना नहीं होती, तब तक कोई भी देवता पूजा का फल स्वीकार नहीं करते. इसलिए धन की देवी लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा से पहले गणेश जी की आराधना अनिवार्य मानी गई है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, लक्ष्मी जी गणेश जी को पुत्रवत मानती हैं. इसी कारण दीपावली की रात लक्ष्मी जी और गणेश जी की संयुक्त पूजा का विधान है.
धन के साथ बुद्धि का संतुलन
गणेश जी को बुद्धि और ज्ञान का स्वामी कहा गया है. दीपावली पर लक्ष्मी जी के साथ उनकी पूजा का अर्थ है — केवल धन की प्राप्ति ही नहीं, बल्कि उस धन का सही उपयोग करने की बुद्धि भी प्राप्त हो. यदि धन के साथ विवेक न हो, तो वह विनाश का कारण बन सकता है. इसलिए लक्ष्मी जी धन देती हैं और गणेश जी बुद्धि व विवेक का वरदान देते हैं.
गणेश जी की कृपा से व्यक्ति में स्थिरता, संयम और सही दिशा में सोचने की क्षमता आती है. इसीलिए दीपावली पर प्रार्थना की जाती है —
“हे गणेश जी, हमें सद्बुद्धि प्रदान करें ताकि लक्ष्मी जी की कृपा से प्राप्त धन का सदुपयोग हो सके.”