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धनतेरस पर कर लिया जो ये एक दिए वाला उपाय, तो खत्म हो जाएगा अकाल मृत्यु का खतरा, खुद यमराज बंद कर देंगे अपने द्वार!

Preeti Pandey • LAST UPDATED : October 27, 2024, 12:04 pm IST
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धनतेरस पर कर लिया जो ये एक दिए वाला उपाय, तो खत्म हो जाएगा अकाल मृत्यु का खतरा, खुद यमराज बंद कर देंगे अपने द्वार!

Dhanteras 2024: धनतेरस पर कर लिया जो ये एक दिए वाला उपाय, तो खत्म हो जाएगा अकाल मृत्यु का खतरा

India News (इंडिया न्यूज), Dhanteras 2024: पौराणिक कथा के अनुसार एक राज्य में हेम नाम का राजा था। ईश्वर की कृपा से उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। पुत्र की कुंडली में लिखा था कि विवाह के चार दिन बाद राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी। ऐसे में राजा ने उसे ऐसी जगह भेज दिया, जहां किसी कन्या की छाया भी उस पर न पड़े, बल्कि वहीं की एक राजकुमारी से उसका विवाह करवा दिया। रीति-रिवाज के अनुसार विवाह के चौथे दिन यमराज के दूत राजकुमार के पास आए।

राजकुमार की पत्नी रोने लगी और दूतों से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय पूछने लगी। दूतों ने ये सारी बातें यमराज को बताईं। यमराज ने बताया कि मृत्यु तो अवश्यंभावी है, लेकिन जो व्यक्ति धनतेरस के दिन यानी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को दीपक जलाता है, उसकी अकाल मृत्यु टल जाती है। इसी कारण हर साल धनतेरस पर यम का दीपक जलाने की परंपरा है।

यम का दीपक जलाने की विधी

धनतेरस के दिन यम का दीपक जलाने की रस्म निभाई जाती है।

यम का दीपक जलाने के लिए चार भुजा वाला मिट्टी का दीपक लें, उसमें चार बत्तियां और सरसों का तेल भरें।

शाम को प्रदोष काल में जब परिवार के सभी सदस्य घर आ जाएं, तब यम का दीपक जलाएं।

दीपक को घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रखें। दीपक जलाने के बाद उसे पूरे घर में घुमाया जाता है।

यम कारज दीपक जलाने का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्वामी यम घर की दक्षिण दिशा में होते हैं।

पौराणिक मान्यता है कि धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में यम का दीपक जलाने से यमराज आकर्षित होते हैं।

इससे घर में सुख, शांति और स्वास्थ्य बना रहता है। सिद्धांत है कि इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।

यम के दीपक का वर्णन स्कंद पुराण और पद्म पुराण में भी किया गया है।

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क्यों जलाया जाता है यम का दीपक

धनतेरस की शाम को माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा के साथ ही यमराज को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा भी की जाती है। घर की दक्षिण दिशा में चार मुख वाला दीपक जलाया जाता है। इस चार मुख वाले दीपक को ‘यम का दीपक’ कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यमराज घर की दक्षिण दिशा के स्वामी होते हैं। पौराणिक मान्यता है कि धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में यम का दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं। घर में सुख, शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

ऐसे जलाएं ‘यम का दीपक’: धनतेरस के दिन आटे और मसाले के तेल से बना चौमुखा दीपक जलाएं, उसमें चार बत्तियां डालकर घर की दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके रखें। इसके अलावा घर के मुख्य द्वार पर गाय के घी का दीपक जलाने से भी देवी लक्ष्मी का प्रसाद मिलता है और खूब धन-संपत्ति आती है।

धनतेरस के दिन शाम को सूर्यास्त के बाद यमराज के लिए दीपक जलाया जाता है। मान्यता है कि दीपक जलाने से यमदेव प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। धनतेरस की शाम को घर के बाहर 13 दीपक जलाएं। घर के पन्ने के बराबर। साथ ही एक पुराने मिट्टी के दीपक में चार बत्तियां डालकर उसमें तेल डालकर जला दें। अब इस दीपक को घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जलाएं और मंत्र का जाप करते रहें।

मंत्र

कहा जाता है ‘मृत्युना पशश्तेन कालेन भार्या स, त्रयोदश्याम दीपादानत्सुर्यज प्रियमिति’, इससे अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है और नरक की यातनाएं झेलना बुरा नहीं लगता।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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